माधापर में कहां से आया इतना पैसा? जिसने इसे एशिया का सबसे अमीर गांव बनाया

 Richest village of Asia: गांव कहते ही आंखों के सामने एक तस्वीर आती है जिसमे खेत, कच्चे मकान, कच्ची गलियां और गलियों में घूमते गाय, बैल और नंगे पैर दौड़ लगाते बच्चे नजर आते हैं। अगर आपको किसी ऐसे गांव के बारे में बताएं, जहां हर दूसरा घर बंगला है, हर गली पक्की है सभी में निकासी के लिए नालियां है। गांव में बैंक की 17 शाखाएं हैं, बड़े मंदिर गार्डन और पक्के स्कूल, अस्पताल हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हां गुजरात के कच्छ जिले का गांव माधापर ऐसा ही एक गांव हैं। इस गांव को पूरे एशिया का सबसे अमीर गांव कहा जाता है। आइए जानते है क्या कारण है कि आज यह गांव इतना समृद्ध है।

हर घर में हैं NRI

दरअसल माधापर गांव के हर घर का कम से कम दो सदस्य एनआरआई है गांव के बहुत से लोग विदेशों में रहते हैं और अच्छी कमाई करते हैं। माधापर गांव के ज्यादातर लोग लंदन में रहते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि विदेश में रहने के बाद भी यहां के लोग गांव को नहीं भूले हैं। लोग अपनी कमाई का हिस्सा गांव की उन्नती पर भी लगाते हैं। यही कारण है कि माधापर कहलाता तो गांव है पर यहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्कूल, अस्पताल और शॉपिंग मॉल सब शहरों की तरह है।

17 बैंकों में जमा है 7 हजार करोड़

इस गांव में एक यो दो नहीं बल्की प्रतिष्ठित बैंकों की पूरी 17 शाखाएं हैं। इन बैंकों में गांव के लोगों के पैसे जमा है। आपको जानकर हैरानी होगी पूरी शाखाओं में कुल 7 हजार करोड़ रुपया जमा है। इसलिए इस गांव को एशिया का सबसे अमीर गांव कहा जाता है। यहां पर एसबीआई, एक्सिस, एचडीएफसी जैसे बड़े बैंकों की शाखाएं हैं। 7 हजार 600 घरों वाले इस गांव में अब भी बहुत से बैंक अपनी शाखाएं खोलना चाहते हैं।

लंदन में है माधापर विलेज एसोसिएशन

माधापर गांव के आधे से ज्यादा लोग लंदन में रहते आ रहे हैं। लंदन में सन 1968 में माधापर विलेज एसोसिएशन का गठन किय गया। इस संगठन का लंदन में एक ऑफिस है। इस संगठन को बनाने का मुख्य कारण था लंदन में भी माधापर गांव के लोगों को संगठित रखना और समय पड़ने पर एक दूसरे के काम आना। ये सभी लोग मिलकर गांव की उन्नती में भी कुछ ना कुछ सहयोग देते रहते हैं। गांव में भी एक ऑफिस खोला गया है जो सीधे लंदन ऑफिस से संपर्क में रहता है। गांव वालों के संगठित रहने के कारण ही यह गांव आज शहरों को भी मात दे रहा है।

आज भी खेती है मुख्य रोजगार

इस गांव की सबसे खास बात यह है कि आज भी खेती इस गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय है। किसी ने भी अपनी एक एकड़ खेती भी नहीं बेची है। लगभग हर घर के लोग खेती का काम करते हैं। विदेशों में रहने के बाद भी गांव के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े हुए रहते हैं। विदेशों में रहने वाले लोग समय-समय पर गांव आते रहते हैं।

Positive सार

भारत के लगभग सभी गांव के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे शहर, दूसरे राज्य या विदेश जाते हैं। लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए पैस कमाना होता है। अगर हर कोई माधापर के लोगों की तरह संगठित होकर सोचने लगे तो देश का हर एक गांव माधापर की तरह समृद्ध और सुविधाओं से पूर्ण हो जाएगा। माधापर गांव हमें यह भी सिखाता है कि विदेशों में रहकर भी हम अपनी जड़ों से किस तरह से जुड़े रह सकते हैं और उन्हें कैसे मजबूत कर सकते हैं।

Shubhendra Gohil

Content Writer

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