Telemedicine भारतीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई क्रांति के रूप में तेज़ी से उभर रहा है। Tele-medicine का अर्थ है टेक्नोलॉजी का उपयोग करके हेल्थ केयर सर्विसेस को देश के उन कोनों तक पहुँचाना, जहाँ अधिक दूरी की वजह से स्वास्थ्य विशेषज्ञ पहुँचने में असमर्थ हो। इसके द्वारा डॉक्टर दूर-दराज़ के क्षेत्रों और गाँवों तक वहाँ जाए बिना इलाज पहुँचा सकते हैं, जिससे समय रहते मरीज़ों को तुरंत इलाज मिल सकता है।
स्वास्थ्य सेवायें अधिकतर शहरों और कस्बों में केंद्रित है। जहाँ एक ओर देश कि जनसंख्या का लगभग 68.84% हिस्सा गाँवों में रहता है, वहीं दूसरी ओर देश के 75% डॉक्टर शहरों में इलाज की सेवायें प्रदान करते हैं। ऐसे कई प्रयास किये गए हैं जिससे डॉक्टर्स गाँवों में भी सेवा दे। जैसे, 2018 में एक संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि भारतीय मेडिकल कॉलेजों से स्नातक करने वाले सभी डॉक्टरों को ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में एक साल तक काम करना चाहिए। वर्तमान में, केवल कुछ राज्यों ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों के स्नातकों के लिए इस तरह की सेवा को अनिवार्य किया है।
किस तरह होता है Telemedicine द्वारा इलाज?
टेलीमेडिसिन का उपयोग टेक्नोलॉजी पर आधारित कुछ टूल्स या उपकरणों की सहायता से किया जाता है। उदाहरण के तौर पर टेलीफोन, वीडियो, LAN, VAN, इंटरनेट, मोबाइल या लैंडलाइन फोन, चैट से जुड़े प्लेटफार्म जैसे; व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर आदि या इंटरनेट और मोबाइल एप आधारित डिजिटल टेलीमेडिसिन प्लेटफार्म जैसे स्काइप / ईमेल / फैक्स आदि।
इसके अलावा, टेलीमेडिसिन के उपयोग को 2 भागों में बांटा जा सकता है :
1.सूचना देने के समय के आधार पर।
- रीयल-टाइम टेलीमेडिसिन : जहाँ सूचना भेजने वाला (मरीज़) और रिसीवर (डॉक्टर) दोनों एक ही समय पर ऑनलाइन हों और सूचना लाइव ट्रांसफर हो।
- स्टोर-फॉरवर्ड टेलीमेडिसिन : जहां सूचना भेजने वाला डेटाबेस को संग्रहित करता है और इसे सुविधाजनक समय पर रिसीवर को भेजता है। रिसीवर अपनी सुविधा के अनुसार डेटा की समीक्षा कर सकता है।
- रिमोट मॉनिटरिंग टेलीमेडिसिन : जहाँ तकनीकी यंत्रों के इस्तेमाल के ज़रिये मरीज़ की सेहत का ध्यान रिमोटली रखा जाता है।
2. शामिल व्यक्तियों के बीच बातचीत के आधार पर।
- डॉक्टर टू डॉक्टर : विशेष देखभाल, रेफरल और परामर्श सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिए।
- डॉक्टर टू पेशेंट : उन मरीज़ो तक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को पहुँचाना जिनके पास अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है।
Telemedicine के भारत में क्या फायदे हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हर 1000 मरीज़ पर 1 डॉक्टर की सलाह देता है। लेकिन भारत में ये अनुपात 0.62:1000 है। नए डॉक्टरों के प्रशिक्षण में काफ़ी समय लगेगा और यह महंगा भी है। इसलिए डॉक्टर और मरीज़ का अनुपात आने वाले लंबे समय तक कम ही रहने की उम्मीद है। इस कमी को देश के कई कोनों में टेलीमेडिसिन के द्वारा आंशिक रूप से दूर किया जा रहा है।
भारत में हर व्यक्ति तक हेल्थ केयर सर्विसेस पहुँचाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है, खासकर जब हमारे लिए भौगोलिक दूरी और सीमित साधन एक बड़ी बाधा हो। ऐसे में भारत में टेलीमेडिसिन जैसी तकनीक का उपयोग लागत और मेहनत, दोनों की बचत कर सकता है। इससे ग्रामीणों को मीलों पैदल चल कर शहर तक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इससे ना तो डॉक्टरों को गाँवों में जा के उपचार करने की ज़रूरत होगी और ना ही ग्रामीणों को लम्बी दूरी की यात्रा का खर्च उठाना पड़ेगा जिससे उनकी आय के एक बहुत बड़े हिस्से की बचत हो पायेगी और साथ ही स्वास्थ्य भी बना रहेगा।
Telemedicine के भारत में उपयोग के ये हैं के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण
भारत में सफलतापूर्वक स्थापित टेलीमेडिसिन सेवाओं के कुछ उल्लेखनीय उदाहरणों में श्री गंगा राम अस्पताल, दिल्ली की मैमोग्राफी सेवाएं, क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, त्रिवेंद्रम में ऑन्कोलॉजी सुविधाएँ, संजय गांधी पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में सर्जिकल सेवाएं, स्कूल ऑफ टेलीमेडिसिन और बायोमेडिकल इंफॉर्मेटिक्स इत्यादि शामिल हैं। टेलीमेडिसिन का उपयोग उन स्थानों पर भी किया जाता है जहाँ बड़ी आबादी कभी-कभी या एक समय पर इकट्ठा होती है और जहाँ हेल्थ केयर समय की आवश्यकता बन जाता है; उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ मेलों के दौरान टेलीमेडिसिन का उपयोग करती है।
टेलीमेडिसिन ने निजी क्षेत्र में भी गहरी रूचि जगाई है। टेलीमेडिसिन में मौजूद कुछ प्रमुख भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियों में नारायण हृदयालय, अपोलो टेलीमेडिसिन एंटरप्राइजेस, एशिया हार्ट फाउंडेशन, एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस और अरविंद आई केयर शामिल हैं। ये संस्थाएं केंद्र और राज्य सरकारों तथा इसरो जैसे संगठनों के समर्थन के साथ काम करते हैं जो उन्हें उचित तकनीक के साथ मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, इसरो का टेलीमेडिसिन नेटवर्क एक लंबा सफर तय कर चुका है। इसका विस्तार 45 दूरस्थ और ग्रामीण अस्पतालों और 15 सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को जोड़ने के लिए हुआ है जिनमें अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप के द्वीप, जम्मू और कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र, उड़ीसा के मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अन्य राज्यों के कुछ ग्रामीण / ज़िला अस्पताल शामिल हैं।
Telemedicine भविष्य की ज़रूरत
टेलीमेडिसिन सभी समस्याओं का जवाब नहीं हो सकता है, लेकिन समस्याओं की एक विशाल श्रृंखला को समाप्त करने में बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है। टेली-हेल्थ, टेली-एजुकेशन और टेली-होम हेल्थ केयर जैसी सेवाएँ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में चमत्कारिक साबित हो रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन की पहल दुनिया को करीब ला रही है और बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा हासिल करने में अब कोई बाधा नहीं है। इतनी क्षमता होने के बावजूद, अभी भी टेलीमेडिसिन उस उछाल को प्राप्त नहीं कर पाया है जो इसे करना चाहिए था। इसकी मुख्य वजह जनता और प्रोफेशनल्स में जागरूकता की कमी और नई तकनीक को स्वीकार नहीं कर पाना है।
सरकारें अब टेलीमेडिसिन के उपयोग को विकसित करने में गहरी दिलचस्पी लेने लगी हैं, जिसके परिणामस्वरूप पब्लिक हेल्थ में इसके उपयोग में धीमी, मगर स्थिर वृद्धि हो रही है। उम्मीद है कि कुछ वर्षों में, टेलीमेडिसिन अपनी वास्तविक क्षमता हासिल कर लेगी।
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