

Archery World Championship में भारत को इस बार दो गोल्ड मेडल मिले हैं। यही नहीं भारत को गोल्ड दिलाने वाली इस खिलाड़ी ने इतिहास भी रचा है। दरअसल आर्चरी वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की 17 साल की अदिति गोपीचंद ने दो गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। अदिति ने विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के कंपाउंड महिला फाइनल और टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता है। भले ही अदिति ने आज गोल्ड हासिल कर भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया हो लेकिन सतारा से बर्लिन तक उनका सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा, बावजूद उन्होंने अपने खेल पर ध्यान दिया और आज भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली खिलाड़ी के तौर पर स्थापित हो गईं।
बेटी की कामयाबी की वजह हैं पिता
अदिति की जीत उनके अकेले की नहीं है उनके पिता ने भी गोल्ड जीता है। अदिति के पिता गोपीचंद खुद एक शिक्षक और खेल प्रेमी हैं। सतारा के रहने वाले गोपीचंद ये जानते थे कि उनकी बेटी का खेल भविष्य शहर में आकर ही संवरेगा। उन्होंने बेटी के लिए शहर की ओर रुख किया जहां उन्होंने अदिति को खेल के माहौल के साथ सुविधाएं भी मुहैया करवाईं।
गन्ने के खेत में भी की प्रैक्टिस
अदिति सिर्फ एक गोल्ड मेडलिस्ट नहीं है बल्कि वे एक प्रेरणा भी हैं। अदिति जब सिर्फ 12 साल की थी तब उनके पिता उन्हें सतारा के सहाहू स्टेडियम लेकर गए थे। अदिति को यहाँ तीरंदाजी का खेल काफी भाया। पिता ने बेटी को वहां तीरंदाजी सीखने के लिए एडमिशन दिलवा दिया। अदिति की इस खेल में दिलचस्पी बढ़ी और वे घंटो गन्ने के खेत में बने अकेडमी में समय बिताने लगी। अदिति की लगन को पिता ने समझा, उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया कि उनकी बेटी कुछ बड़ा करेगी। गोपीचंद ने बेटी को दीपिका कुमारी ओर अभिषेक वर्मा के वीडियो को दिखाकर प्रेरित किया |
कर्जे में डूबा परिवार फिर भी नहीं रुकी प्रैक्टिस
गोपीचंद देश के सभी पिता के लिए एक प्रेरणा हैं उन्होंने खुद को कर्जे में डुबो लिया लेकिन अपनी बेटी का खेल जारी रखा। गोपीचंद ने उसका खुद का धनुष दिलाने के लिए कर्जा लिया। एक धनुष लगभग ढाई लाख रुपए का आता है। वहीं तीरों की कीमत 50 हजार तक भी होती है। लॉकडाउन में अदिति घर पर ही रहकर प्रैक्टिस करती थीं। त्यौहार हो, वीकेंड हो घर पर कोई आयोजन हो अदिति सिर्फ अभ्यास करती थी। बेटी की कामयाबी के लिए गोपीचंद लगभग 10 लाख रुपए के कर्ज में डूब गए।
बनीं तीरंदाज़ी में सबसे कम उम्र की विश्व चैंपियन
17 वर्षीय अदिति गोपीचंद स्वामी तीरंदाज़ी में सीनियर वर्ग के व्यक्तिगत स्पर्धा में सबसे कम उम्र की विश्व चैंपियन भी बन गई हैं। महिलाओं की कंपाउंड तीरंदाजी में उनका 30वां रैंक है। उन्होंने 2 महीने पहले जूनियर वर्ल्ड टाइटल जीता था।

