Millet: भारत का सुपरफूड ही नहीं स्मार्ट फूड भी है बाजरा!



Millet Year 2023: सबसे प्राचीन खाद्यान्नों में से एक है मिलेट जिसे बाजरा भी कहते हैं। अगर इतिहास की तरफ चलें तो मिलेट्स संभवतः घरेलू उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाने वाला सबसे पहला अनाज है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी अनाजों के सबसे पहले प्रमाण बाजरा (Milet) के ही मिलते हैं। लेकिन 60 के दशक में हरित क्रांति के माध्यम से खाद्य सुरक्षा को दिए गए जोर के कारण, बाजरा की तरफ लोगों का ध्यान कम हो गया। अतिश्योक्ति पूर्ण कहीं-कहीं इसे ‘अनाथ फसलों’ के रूप में प्रस्तुत किया गया। जिसका परिणाम ये हुआ कि कम खपत की वजह से इसे भुला दिया गया। लेकिन भारत में मिलेट्स की उत्पादकता और गुणों के देखते हुए फिर से दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है। यही वजह है कि पूरी दुनिया इस साल अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 (International Millet Year 2023) मना रही है।

International Millet Year 2023

अब बाजरा के महत्व को लोगों ने स्वीकारा है। पौष्टिक भोजन प्रदान करने की क्षमता को देखते हुए भारत ने इसके लिए घरेलू और वैश्विक मांग को पैदा करने की दिशा में कार्य किया। यही वजह है कि भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव को लीड किया। भारत के प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया और यूएनजीए (UNGA) ने मार्च 2021 यह घोषणा भी की, कि 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।

बाजरा (Milet) के बारे में

बाजरा को आम बोलचाल की भाषा में मोटा अनाज कहते हैं। इसके उत्पादन के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। वहीं अगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करें तो बाजरा (Milet) घास परिवार से संबंधित छोटे बीज वाले, वार्षिक और गर्म मौसम वाले अनाज हैं। ज्वार (Sorghum), बाजरा (Pearl millet) और रागी (Finger millet) भारत में उगाए जाने वाले महत्वपूर्ण मोटे अनाज (Milet) हैं। प्रोसो (चीना), कोदो (कोडरा, अरिकेलु), लोमड़ी की पूंछ (कंगनी/कोर्रा), बार्नयार्ड (वरई, सावा), छोटी बाजरा (कुटकी) जैसे छोटे बाजरा भी हमारे देश में मुख्य रूप से उगाए जाते हैं।

वैश्विक स्तर पर बाजरा

उप-सहारा अफ्रीका और एशिया में लाखों छोटे किसानों के लिए ये काफी महत्वपूर्ण है। बाजरा (Milet) किसानों के लिए पोषण, आय और आजीविका प्रदान करता है। इसके अलावा भोजन, चारा, जैव ईंधन और शराब जैसी चीजें बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि बाजरा (Milet) की पहचान स्मार्ट फूड के रूप में है। यह उपभोक्ताओं के लिए अच्छा है, किसान के लिए अच्छा है और पृथ्वी के लिए भी अच्छा है। बाजरा (Milet) लगभग 131 देशों में उगाया जाता है। ये एशिया और अफ्रीका में लगभग 59 करोड़ लोगों के लिए पारंपरिक भोजन का काम करता है।

दुनिया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है भारत

दुनिया में भारत सबसे ज्यादा बाजरा का उत्पादन करता है। भारत के राज्यों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा और केरल शीर्ष बाजरा उत्पादक हैं।

महत्व और लाभ

बाजरा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आहार फाइबर और अच्छी गुणवत्ता वाले वसा जैसे पोषक तत्वों का समृद्ध स्रोत है। इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, लोहा, मैंगनीज, जस्ता और बी कॉम्प्लेक्स विटामिन जैसे खनिजों की काफी अधिक मात्रा होती है। चावल या गेहूं की तुलना में उनके सूक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) की संरचना भी बेहतर होती है।

बाजरा मोटापा, मधुमेह और जीवन शैली की समस्याओं जैसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में भी मदद कर सकता है क्योंकि ये ग्लूटेन मुक्त और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होते हैं। आहार फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट में उच्च होते हैं। बाजरा में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं जो उनके एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के कारण चिकित्सीय गुणों को बढ़ाते हैं।

बाजरा ड्राई लैंड में कृषि की रीढ़ की हड्डी है। दूसरे अनाजों की तुलना में इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है। आम तौर पर फसल के लिए कम अवधि कम लागत और श्रम की आवश्यकता होती है। बाजरा उत्पादन रासायनिक उर्वरकों के उपयोग पर निर्भर नहीं है। बाजरे की फसल कीटों को आकर्षित नहीं करती हैं और अधिकांश बाजरा भंडारण कीटों से प्रभावित नहीं होते हैं। इस प्रकार, कीटनाशकों का उपयोग भी इनके लिए जरूरी नहीं। बाजरा लाइव मल्च के रूप में कार्य करता है, जो नमी के संरक्षण में मदद करता है। वहीं ये राइजोस्फीयर में माइक्रोबियल आबादी को बनाए रखता है, जिससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। बाजरा पशुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए चारे का भी एक अच्छा स्रोत है। जानते हैं कुछ स्मार्टफूड और उनके गुणों के बारे में..

रागी

रागी को ही फिंगर मिलेट कहते हैं, जिसका इस्तेमाल खासतौर पर फिटनेस के प्रति जागरूक लोग चावल और गेहूं के विकल्प के रूप में करते हैं। यह प्रोटीन और अमीनो एसिड से भरपूर बाजरा का ग्लूटेन-फ्री प्रकार है। बढ़ते बच्चों में रागी मस्तिष्क के विकास को सुविधाजनक बनाता है। यह कैल्शियम, आयरन और अन्य खनिजों से भरपूर होता है।

ककुम/कंगनी (Foxtail Millet)

फॉक्सटेल बाजरे को भारत में ककुम/कंगनी के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर ये सूजी या चावल के आटे के रूप में उपलब्ध होते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है जो शरीर में ब्लड शुगर के लेवल को संतुलित करने में मदद करता है। फॉक्सटेल बाजरा चावल के सबसे करीब है। यह दुनिया भर में चावल के विकल्प के रूप में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

ज्वार बाजरा (ज्वार)

रोटियां और अन्य ब्रेड बनाने के लिए यह भारत में बाजरा का एक और लोकप्रिय प्रकार है। इसे स्थानीय रूप से ज्वार के नाम से जाना जाता है। ऑर्गेनिक ज्वार आयरन, प्रोटीन और फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है और पोलिकोसेनॉल्स की उपस्थिति के कारण, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। गेहूं से एलर्जी वाले लोग ज्वार को एक स्वस्थ विकल्प के रूप में ले सकते हैं। ज्वार में ब्लूबेरी और अनार की तुलना में अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और यह कैलोरी और मैक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है। ज्वार मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है।

बाजरा गुणों की खान है, ये जलवायु के अनुकूल होने के साथ ही भारतीय खान-पान में रचा बसा है। इसकी पौष्टिकता को अनाज के रूप में बढ़ावा देने के लिए ही मिलेट वर्ष का प्रस्ताव भारत ने दुनिया के सामने रखा। जहां एक तरफ इस मिशन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली वहीं भारत सरकार भी विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों में मिलेट्स को लेकर जागरूकता लाने का प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत वर्ष 2011-12 में 300 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा भी केंद्र सरकार ने की है। इस मिशन के सफल होने का मतलब है कि दुनिया के लोग अब पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन के साथ ही प्रकृति प्रदत्त उत्पाद को मंच देने के लिए तैयार है, जो भारत के लिए गर्व की बात है।

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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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