पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नींव का कार्य करता भारत का ग्रीन एनर्जी सेक्टर!



Green Energy: हाल के दिनों में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। दुनियाभर में कई देश अब ग्रीन एनर्जी की तरफ रुख कर रहे हैं, ताकि भविष्य के लिए एक सुरक्षित आवरण तैयार कर सकें। वहीं अगर हम भारत की बात करें तो भारत में भी ग्रीन एनर्जी एक अवसर के तौर पर उभरा है। अवसर बेहतर भविष्य के तौर पर, बेहतर ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ते ह्यूमन आर्मी के तौर पर और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए निवेश के तौर पर। इस लेख के माध्यम से हम इस बात पर गौर करेंगे कि कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ग्रीन एनर्जी क्षेत्र निवेश संबंधी संभावनाओं के साथ ही बेहतर भविष्य की रूपरेखा तैयार कर रहा है….

ग्रीन एनर्जी के बारे में…

ग्रीन एनर्जी हमें प्राकृतिक संसाधनों से मिलती है। जैसे सूरज से सोलर एनर्जी, हवा या पानी से प्राप्त होने वाली एनर्जी। तेजी से हो रहे पर्यावरणीय बदलावों की वजह से पूरी दुनिया को ग्रीन एनर्जी की तरफ शिफ्ट होना पड़ है।

ग्रीन एनर्जी की तरफ भारत उठा रहा है कदम

भविष्य में ग्रीन एनर्जी के साथ आगे बढ़ने के लिए भारत सरकार तेजी से काम कर रही है। हालांकि, भारत लंबे समय से ऊर्जा उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा भरोसा कोयला पर करता रहा है, लेकिन पिछले दशक के मध्य से इसमें ग्रीन एनर्जी की भागीदारी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी है। साल 2017 के बाद से ग्रीन एनर्जी बिजली उत्पादन के नए तरीकों में प्राथमिकता के तौर पर देखी गई है। जिसमें सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) का एक बड़ा हिस्सा शामिल है। तकनीक में सुधार और सौर पैनलों की कीमतों में साल दर साल सरकारी मदद की वजह से ये आम आदमी की पहुंच तक आया है।

भारत में सोलर तकनीक को तेजी से आगे बढ़ाने के तरीकों पर काम किया जा रहा है। सोलर एनर्जी से संबंधित उपक्रमों की लागत कम हो जाने के कारण भी इन क्षेत्रों में निवेश तेजी से बढ़ा है। वहीं सरकार की इस क्षेत्र में रूचि को देखते हुए फाइनेंस के लिए भी कई कंपनियां आगे आ रही हैं, जिससे सोलर परियोजनाओं की लागत काफी कम हुई है। अगर हम ऐसा कहें कि तकनीक में सुधार, आसानी से मिलने वाली फाइनेंस सुविधा और निरंतर नए तरीकों को अपनाने की वजह से न सिर्फ हम सोलर तकनीक में लगातार नए सुधार कर रहे हैं बल्कि हर व्यक्ति तक ग्रीन एनर्जी की पहुंच आसान हुई है।

भारत के लोग और ग्रीन एनर्जी

भारत में इस बात का खासा असर देखने को मिला है कि जहां एक तरफ 2010 में सौर ऊर्जा का टेंडर 12 रुपये प्रति किलोवाट होता था, वहीं अब साल 2020 में गिरकर यह 2 रुपये प्रति किलोवाट पर पहुंच गया है। कीमतें अभी के लिए इसी संख्या के आसपास ही भले स्थिर हैं लेकिन मौजूदा समय में यह बिजली उत्पादन का सबसे सस्ता तरीका है।

यही वजह है कि न्यू पावर कैपेसिटी इंस्टाल करने में सोलर एनर्जी को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। 2022 में भारत में जोड़ी गई 92 फीसदी न्यू पॉवर अकेले सोलर और पवन एनर्जी पर बेस्ड थीं। इस तरह से हरित ऊर्जा देश में ऊर्जा का लगभग एकमात्र स्रोत बनकर उभरा है।

ग्रीन एनर्जी सबसे आकर्षक विकल्प

जरा सोचकर देखिए कि जिस दिन कोयला खत्म उस दिन हम क्या करेंगे। बिजली के लिए किस पर निर्भर रहेंगे। बस इसी बात की समझ को हर व्यक्ति तक डेवलप करने की दिशा में भारतीय योजनाएं कार्य कर रही है। पिछले कुछ दशकों में भारत में बिजली की खपत बढ़ी है। इसे देखते हुए सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसे हम सबसे आकर्षक विकल्प मानकर चल सकते हैं। निवेशक भी पैसा लगाने और रिटर्न पाने के लिए इस क्षेत्र की तरफ देख रहे हैं। भारत सरकार का अनुमान है कि पिछले सात सालों में नवीकरणीय ऊर्जा में 70 बिलियन डॉलर (लगभग 5.6 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का निवेश हुआ है। यह निवेश ऐसे समय में हुआ है जब यह क्षेत्र अभी विस्तार की तरफ सिर्फ बढ़ा ही है।

ग्रीन एनर्जी को लेकर क्या है भारत का लक्ष्य ?

भारत सरकार ने 2030 तक ग्रीन एनर्जी से 450 GW ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए हर साल लगभग 30-40 बिलियन डॉलर (लगभग 2.5- 3.2 लाख करोड़ रुपये) की निवेश की जरूरत बताई जा रही है। दरअसल यह आंकड़े इस क्षेत्र में निवेश की मांग को प्रदर्शित करते हैं। दूसरी वजह जो देश में ग्रीन एनर्जी क्षेत्र को सबसे ज्यादा आकर्षक बनाती है वह है पूंजी (कैपिटल) की उपलब्धता। दुनिया भर के पूंजी बाजार विनियामक (रेग्युलेटरी) कारणों के साथ-साथ लंबी अवधि के रिटर्न के चलते ज्यादा से ज्यादा ग्रीन टेक्नॉलॉजी में फंडिंग की तरफ बढ़ रहे हैं। इसका मतलब ये है कि उपलब्ध पूंजी को ग्रीन एनर्जी में निवेश करने के जोखिमों में कम किया गया है।

भारतीय ग्रीन एनर्जी से जुड़े कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां निवेश करने की जरूरत सबसे ज्यादा है। ग्रीन एनर्जी का उत्पादन इसका एक पहलू मात्र है। सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के निर्माण के लिए सप्लाई चैन स्थापित करने से लेकर, इन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए ऊर्जा परियोजनाओं में स्थापित करने और जरूरी आधुनिक ग्रिड स्थापित करने की जरूरत है।

दुनिया भर के देशों का कोयला और दूसरे जीवाश्म ईंधन को पीछे छोड़ ग्रीन एनर्जी की तरफ दुनिया बढ़ रही है। वजह है पारंपरिक ऊर्जा के स्थान पर इसका स्थापित होना। वहीं इसके पर्यावरण को भी इससे कोई नुकसान नहीं हैं। भारत में राज्य और केंद्र सरकार दोनों के मजबूत समर्थन की वजह से ग्रीन एनर्जी एक पसंदीदा विकल्प के रूप में सामने है, देशी और विदेशी कंपनियों की तरफ से उपलब्ध फंडिंग को देखते हुए ये कह सकते हैं कि भारत में ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं हैं।

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Dr. Kirti Sisodia

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