कितने ही लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों के लिए अपना जीवन लगा देते हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं 24 साल की खुशी पांडेय जिन्होंने न सिर्फ समाज सेवा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल भी पेश कर रही हैं।
खुशी के बारे में….
24 साल की खुशी समर्पण और सेवा भावना की मिसाल हैं। उनकी छोटी सी कोशिश न सिर्फ साइकल पर चलने वाले राहगीरों की जान बचा रही है बल्कि सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी ला रही है। खुशी पांडेय उत्तरप्रदेश के लखनऊ की रहने वाली हैं। उन्होंने सड़क पर सायकल सवार लोगों की सुरक्षा के लिए एक अनोखी तरकीब निकाली है, जिसकी सराहना हर कोई कर रहा है।
लोगों की सायकल पर फ्री में लगाती हैं लाइट
खुशी रोज लखनऊ की मेन सड़क पर एक बोर्ड लिए खड़ी रहती हैं, इस बोर्ड पर लिखा है “अपनी साइकल पर लाइट लगवा लो” बोर्ड देख साइकिल सवार उनके पास रूकते हैं और खुशी उनकी सायकल में एक लाल रंग का लाइट लगा देती है। खुशी ऐसा इसलिए करती हैं ताकि दूर से आती जाती गाड़ियों से साइकिल सवार को कोई नुकसान न पहुंचे। अपने इस काम के बारे में बात करते हुए खुशी कहती हैं कि ठंड की एक शाम उनके नानाजी साइकिल से घर लौट रहे थे। धुंध की वजह से तेज आती गाड़ी को उनके नाना की साइकिल नहीं दिखी और उनके नाना वाहन की चपेट में आ गए। खुशी ने अपने नाना की मृत्यु के बाद ये सोचा कि कितने ही ऐसे लोग होते हैं जो साइकिल पर रोजाना चलते हैं। लेकिन रात के अंधेरे में उनके लिए बड़ी सड़कों पर चलना रिस्क भरा होता है। बस फिर क्या था, खुशी ने लोगों की साइकिल पर फ्री में लाइट लगाना शुरू कर दिया। खुशी अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की साइकिल पर लाइट लगा चुकी हैं, यही नहीं उन्होंने सड़क दुर्घटना को कम करने के लिए ट्रैफिक डिपार्टमेंट को पत्र लिखा है कि साइकिल पर लाइट को अनिवार्य किया जाए। खुशी अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा लाइट लगाने के लिए खर्च करती हैं। उन्होंने अपनी इस कोशिश को “प्रोजेक्ट उजाला” नाम दिया है। वो कहती हैं कि कुछ बेहतर करने के लिए जरूरी नहीं है कुछ बड़ा किया जाए, अच्छे काम के लिए कोई प्लानिंग नहीं होती है बस मोटिव के साथ निकल पड़ना चाहिए। खुशी की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाना चाहता है।