• पढ़ाई के साथ-साथ खेती-किसानी सीख रहे स्कूली बच्चे
• मीड-डे मील के लिए खुद ही उगा रहे मशरूम
Mushroom Farming: रोजगार परक शिक्षा का सबसे अच्छा उदाहरण बन रहे हैं उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले के गांव लोदीपुर निवादा के सरकारी स्कूल के बच्चे। दरअसल यहां के बच्चों को आधुनिक दौर की शिक्षा के साथ तकनीक और नवाचारों से जोड़ा जा रहा है। यहां के बच्चे न सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित हैं बल्कि आगे चलकर देशहित के लिए कुछ नया करने की कला भी सीख रहे हैं। लोदीपुर निवादा के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ मशरूम की खेती सिखाई जा रही है, ताकि बच्चे खेती के लिए भी प्रोत्साहित हों। स्कूल के प्रिसिंपस खुद ही बच्चों को मशरूम फार्मिंग की ट्रेनिंग देते हैं। वहीं बच्चों के सहयोग से मशरूम का जो भी उत्पादन मिलता है उसे मिड-डे मील में भी सर्व किया जाता है।
शिक्षा के साथ खेती करना सीख रहे हैं छात्र
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले लोदीपुर निवादा स्थित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के साथ मशरूम उत्पादन कैसे किया जाता है, यह सिखाया जा रहा है। इस स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल बच्चों को मशरूम की खेती में होने वाले खर्च, आमदनी, खेती का प्रबंधन, देखभाल आदि की जानकारी देते हैं। यही नहीं खेती-किसानी के अलावा सरकारी स्कूल के ये बच्चे अपने भविष्य में काम आने वाली चीजों से भी अवगत हो रहे हैं।
कम खर्च में भी की जा सकती है मशरूम की खेती
एक प्रतिष्ठित अखबार ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि जिसके अनुसार, सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल बताते हैं कि मशरूम उत्पादन को कम लागत में भी किया जा सकता है। जिसकी शुरुआत बेहद कम खर्च के साथ कर सकते हैं। इसके लिए कीटनाशक, पानी, भूसा और बीज के साथ-साथ रोजाना की दिनचर्या से जुड़ी चीजों का ही उपयोग होता है।
छात्रों के उगाए मशरूम से स्पेशल हो जाता है मीड-डे मील
स्कूल में प्रिसिंपल और शिक्षकों की ट्रेनिंग से बच्चे जिस मशरूम को उगा रहे हैं, वही मशरूम बच्चों के हेल्थ के लिए कारगर साबित हो रहा है। यहां की मशरूम का प्रयोग मिड-डे मील बनाने में किया जा रहा है। रिपोर्ट में स्कूल के प्रिसिंपल और टीचर्स ने बताया कि इस तरह के एक्टिवीज में बच्चों की दिलचस्पी होती है तो वे कौशल परक शिक्षा का लाभ ले सकते हैं।