

Indian Women Who Contributed To Education Sector: भारत में ऐसी बहुत सी महिलाएं रही हैं जिन्होंने आर्ट, लिटरेचर, साइंस जैसे क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। पर क्या ये संभव था अगर इन महिलाओं ने हक की लड़ाई नहीं लड़ी होती। दरअसल आज महिलाओं ने जिस मुकाम को हासिल किया है उसके पीछे लंबी लड़ाई लड़ी गई। समाज के ताने सुनने पड़े और खुद को स्थापित करने के लिए जी तोड़ मेहनत की गई। इनमें शामिल हैं कुछ ऐसी महिलाएं जिनकी मदद से बहुत सी पीढ़ियों की महिलाओं को मार्गदर्शन मिला और शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने का अवसर मिला।
सावित्रीबाई फुले
भारत की पहली महिला शिक्षक के तौर पर सावित्रीबाई फूले को जाना जाता है। एक शिक्षिका के तौर पर सावित्रीबाई फुले के योगदान को भूला नहीं जा सकता है। वे महाराष्ट्र में एक दलित परिवार में जन्मीं थीं। उन्होंने लड़कियों के शिक्षा लिए जो लड़ाई लड़ी वो इतिहास में अमर कहानी बन गई। सावित्रीबाई फुले पहली महिला शिक्षिका होने के साथ ही समाज सुधारक और मराठी कवियत्री भी थी।
विमला कौल
विमला कौल एक ऐसी शख्सियत थीं जिन्होंने अपनी उम्र को अपनी लड़ाई के आड़े नहीं आने दिया। जिस उम्र में लोग रिटायर हो जाते हैं उस उम्र में विमला ने लड़कियों के लड़ाई की लीडरशिप संभाली। कौल ने 81 साल की उम्र में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा से जोड़ा। वे जानती थीं कि लड़कियों का पढ़ना-लिखना कितना जरूरी है। उन्होंने गुलदस्ता नाम का स्कूल चलाया जहां लड़कियों के साथ गरीब बच्चों को फ्री शिक्षा से जोड़ा गया।
चंद्रप्रभा सैकियानी
चंद्रप्रभा सैकियानी का संबंध असम से था। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए जो योगदान दिया उसके अलावा उनका नाम असम से पर्दा प्रथा हटाने के लिए भी जाना जाता है। 13 साल की उम्र में चंद्रप्रभा सैकियानी ने अपने गांव की लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए स्कूल खोला था और उसी उम्र में टीचर भी बनीं। उन दिनों लड़कियों को पढ़ना-लिखना मना था। उन्होंने इस असामानताके खिलाफ आवाज उठाई।
असीमा चटर्जी
असीमा चटर्जी विज्ञान में डॉक्टरेट हासिल करने वाली पहली पहली महिला वैज्ञानिक थीं। वे एक सफल ऑर्गेनिक केमिस्ट थी और 20वीं सदी में महिलाओं को आगे बढ़ने का हौसला देने वाली शख्सियत बनीं। उन्होंने उस दौर में पुरुषों से कदम मिलाया जब महिलाएं साइंस की फील्ड में नहीं थी।