हाथ से चलने वाली वॉशिंग मशीन बन गई है। यह पानी का कम इस्तेमाल करती है। इसमें बिजली का कोई इस्तेंमाल नहीं होता है। इसे ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के इंजीनियर नवजोत साहनी ने बनाया है। इसकी काफी तारीफ हो रही है। इसके जरिये दुनिया को ज्यारदा स्व च्छ बनाया जा सकता है। साहनी को प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा इसके लिए पॉइंट ऑफ लाइट अवार्ड से सम्माानित किया गया। यह पुरस्का्र उन्हें दिया जाता है जो लोगों की जिंदगी बदलने की क्षमता रखते हैं। साहनी कुछ चुनिंदा लोगों में है जिन्हें यह सम्माकन दिया गया।
ब्रिटिश पीएम ने साहनी के इनोवेशन की तारीफ में बोले साहनी की हाथ से चलने वाली वॉशिंग मशीन परिवारों को साफ कपड़ों की गरिमा दे रही है। इसके जरिये महिलाएं सशक्तल हो रही हैं। ये वो महिलाएं हैं जिन्हेंक शिक्षा और रोजगार में पीछे रखा गया है। यह समय बचाने में काफी मददगार साबित हुई है।
कैसे आया मैनुअल वॉशिंग मशीन बनाने का आइडिया
इस एनर्जी-एफिशिएंट मैनुअल वॉशिंग मशीन को बनाने का आइडिया साहनी को नौकरी छोड़ने के बाद आया। नौकरी छोड़ने के बाद साहनी इंजीनियर्स विदाउट बॉर्डर्स यूके के साथ जुड़ गए। उन्हों ने देखा कि कस्बों और गांव में रहने वाले कम संपन्नग लोग साफ-सुथरे कपड़े नहीं पहन पाते हैं। इनकी धुलाई की ज्या।दातर जिम्मेादारी महिलाओं पर आती है।
एक इंटरव्यू में साहनी ने कहा कि हाथ से कपड़ों को धुलना कमर तोड़ने जैसा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह और भी मुश्किल होता है। महिलाएं वहां तलाब से पानी भरकर लाती हैं। इनमें से ज्या दातर परिवार इलेक्ि्र्र क वॉशिंग मशीन नहीं खरीद सकते हैं।
शुरू किया ‘द वॉशिंग मशीन प्रोजेक्टह’
नवजोत साहनी ने इसी को ध्यानन में रखकर 2019 में ‘द वॉशिंग मशीन प्रोजेक्ट।’ शुरू किया। उन्होंगने पहले प्रोडक्टा का नाम ‘दिव्या्’ रखा। उसी से उन्हें ऐसी वॉशिंग मशीन बनाने की प्रेरणा मिली। ‘द वॉशिंग मशीन प्रोजेक्टर’ के अनुसार, दुनिया की 70 फीसदी आबादी के पास प्रॉपर वॉशिंग मशीन नहीं है।
साहनी ने एक इंटरव्यूप में बताया कि करीब 300 मशीनों को दुनियाभर में भेजा गया है। इन्हेंर स्कूकलों से लेकर अनाथालयों और शरणार्थी कैंपों में लगाया गया है। बिजली के बढ़ते बिल के बीच इन मशीनों की ब्रिटेन और अमेरिका में भी मांग बढ़ रही है। नवजोत साहनी को अपने इनोवेशन से आगे चलकर काफी उम्मीिदें हैं। उन्हेंब लगता है कि कुछ समय में लाखों लोगों पर इसका सकारात्महक असर पड़ेगा। इससे लाखों लीटर पानी की बचत होगी।