#Nukkad tea café: इन मुस्कुराते चेहरों को देखकर ही आप इनकी जिंदादिली का अंदाज़ा लगा सकते हैं। रचनात्मक और आत्मविश्वासी इन चेहरों से मिलने का address है Nukkad Tea Cafe. दरअसल यह कैफै मूकबधिर, थर्ड जेंडर और बौद्धिक रूप से दिव्यांग युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है। और इसीलिए Nukkad Tea Cafe को दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए साल 2020 का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। 3 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा यह अवार्ड Nukkad Tea Cafe के फाउंडर प्रियंक पटेल को दिया गया। नुक्कड़ टी कैफे की उपलब्धि सिर्फ यही पर नहीं खत्म होती वंचित लोगों को मुख्यधारा को जोड़ने के अलावा भी कई नवाचार इस कैफे की तरफ से किए जा रहे हैं।
कैसे हुई Nukkad Tea Café की शुरूआत
इस खूबसूरत पहल की शुरूआत 2013 में हुई। जब एक आईटी प्रोफेशनल ने कुछ नया करने की ठानी। कैफे के फाउंडर प्रियंक पटेल कहते हैं कि एक आईटी प्रोफेशनल के तौर पर उन्होंने 5 साल काम किया। काम के दौरान उन्हें एक फेलोशिप के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला। काम के दौरान यह महसूस हुआ कि युवा पीढ़ी को समाज के लिए कुछ करना चाहिए। और यहीं से शुरूआत हुई नुक्कड़ टी कैफे की। उन्होंने एक अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा है कि- ”मैं हमेशा से यह चाहता था कि मुझे युवा पीढ़ी को एक ऐसा मंच देना है जो समाज से जुड़ने का एक अवसर के जैसा हो। नुक्कड़ के पीछे मेरा एक खास मकसद यह है, कि मैं ऐसे लोगों को रोजगार दूं जो बोलने-सुनने में अक्षम हो या किसी भी तरह से समाज की मुख्यधारा से बाहर हों। मैं चाहता हूं कि नुक्कड़ एक ऐसा मंच हो जहां स्वयंसेवी संस्थाएं, कला से जुड़े लोग और युवा सामने आएं। अपने विचारों को आपस में बांटें और समाज के लिए कुछ नया करने की सोचे।”
नुक्कड़ में सबकुछ है खास!
नुक्कड़ में बातचीत का तरीका काफी खास है। बोलने-सुनने में अक्षम लोगों से संवाद करने में आपको जरा भी परेशानी नहीं होगी। नुक्कड़ की हर टेबल पर एक पेंसिल और छोटी सी पर्ची बातचीत के लिए होती है। जिस पर ऑर्डर के साथ वो सबकुछ लिखा जा सकता है जो आप कहना चाहते हों। इसके अलावा मेनु में साइन लैंग्वेज भी होता है जिसके जरिए भी बातचीत की जा सकती है।
कैफे में स्थानीय लोक कलाकृतियों को भी खासा महत्व दिया गया है। जिसका नज़ारा कैफै की इंटीरियर में साफ दिखाई देता है। एक छोटी सी नुक्कड़ लाइब्रेरी की सुविधा भी यहां है जहां हिंदी और अंग्रेजी की किताबें भी पढ़ी जा सकती है।
कितने ही ऐसे लोग होते हैं जो समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं और उनमें भी काफी कम लोग अपने काम को मूर्त रूप दे पाते हैं । उनमें से एक हैं कैफे के फाउंडर प्रियंक पटेल, उनकी युवा और रचनात्मक सोच समाज को एक सकारात्मक दिशा दे रही है। निश्चित ही उनका यह काम काफी सराहनीय है।
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