‘पाथिक ग्राम दुकान’…ये उस दुकान का नाम है जो झारखंड के पलामू क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नेतरहाट और बेतला जैसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जिंदगी को एक नई दिशा दे रहे हैं। दरअसल ये क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर पर्यटक स्थल हैं। राज्य सरकार की तरफ से इन्हें प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है। साथ ही यहां के लोगों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। महिला-पुरुषों को रचनात्मक कला तो सिखाई ही जा रही है साथ ही उनके द्वारा बनाए उत्पाद को बाजार में बिकवाने की व्यवस्था भी ‘पाथिक ग्राम दुकान’ के माध्यम से की जा रही है।
इस दुकान के माध्यम से बांस और मिट्टी के आकर्षक गहने, माला और झारखंड की संस्कृति को जोड़ती कलात्मक कपड़े लोगों तक पहुंचते हैं। इसके अलावा मिट्टी से बने डिजाइनर दीया और आर्टिफिशयल ज्वेलरी स्टैडिंग मॉडल, पेन-पेंसिल बॉक्स, जूट के थैले, समेत कई चीजें यहां तैयार कर बेची जाती है। दुकान में भगवान बिरसा मुंडा, शहीद नीलाम्बर-पीताम्बर और राजा मेदिनीराय की मूर्तियां भी आसानी से मिल जाती है।
ग्रामीणों को मिल रहा है प्रशिक्षण
ग्रामीणों को जूट, बांस, और मिट्टी के उपकरण बनाने का प्रशिक्षण समय-समय पर दिया जाता है। प्रशिक्षण नाबार्ड, हस्तशिल्प विभाग और वन विभाग के सहयोग से दिया जाता है। प्रशिक्षणार्थियों को आर्टिजन कार्ड भी उपलब्ध हुए हैं।
महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि उन्हें कच्चा सामग्री की खरीद के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़े। यही नहीं पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर यहां चीजें तैयार की जाती हैं। प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के निमित छात्रवृति भी दी जा रही है। प्रशिक्षक गांव-गांव जाकर 15 दिनों एवं 1 माह का प्रशिक्षण इन ग्रामीणों को देते हैं, ताकि ग्रामीण महिलाओं के हुनर का विकास हो और वे रोजगार से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें।
हस्तशिल्प उत्पाद को उपलब्ध कराया जा रहा है बाजार
महिलाओं की ओर से तैयार हस्तशिल्प उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने की कोशिश हो रही है। यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते है और यादगार के रूप में कोई वस्तु अपने साथ ले चाहते है। इसी दृष्टिकोण से ‘पथिम ग्राम दुकान’ की व्यवस्था की गई है। ताकि पलामू आने वाले जब वापस लौटे, तो क्षेत्र में प्रसिद्ध कला को अपने साथ ले जाए।
दुकान की आमदनी से सामाजिक कार्य
‘पथिक ग्राम दुकान‘ से मिली आमदनी को कई सामाजिक कार्यक्रमों में लगाया जाता है। महिलाओं के बनाए डोकरा और टेराकोटा आर्ट की चर्चा पूरे देश में होती है। इस एक्सक्लूसिव हैंडीक्राफ्ट आउटलेट में बिक्री से मिले सहयोग राशि का उपयोग विभिन्न सामाजिक कार्यां में होता है। जिसमें महिलाओं को शिक्षा, वस्त्र वितरण और चिकित्सका सेवा उपलब्ध कराया जाता है।