

Sagwan Farming: महंगी लकड़ियों में शामिल सागवान कई गुणों से भरपूर है। नगदी फसलों के रूप में इनकी पहचान है। सागवान को ही सागौन भी कहते हैं। सागवान की लकड़ी में दीमक लगने का खतरा नहीं होता है यही वजह है कि इसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है। यही नहीं फर्नीचर बनाने के अलावा इसका उपयोग दवाई बनाने के लिए भी किया जाता है। सागवान की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की भी जरूरत नहीं होती है सिर्फ ऐसी जगहों का चुनाव करना चाहिए जहां पर पानी का जमाव कम हो।
सागवान की खासियत
सागवान (Sagwan) के पेड़ की उम्र 200 सालों की रहती है। इसकी बनावट की बात करें तो लंबाई 100 से 140 फ़ीट तक होती है। सागवान का इस्तेमाल दवाइयां बनाने के लिए भी होता है। इसके गुणों की वजह से ये पेड़ काफी महंगे भी होते हैं।
• इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे और और फर्नीचर्स बनाने में इस्तेमाल किया होता है।
• सागवान की छाल और पत्तियों से कई तरह की शक्तिवर्धक दवाओं को तैयार किया जाता है।
सागवन की लकड़ी की सबसे खास बात यह है कि इसमें कभी भी दीमक नहीं लगता है।
सागवान की खेती
सागवान के पौधों को उगाने के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की आवश्यक्ता नहीं होती है। सागवान के पौधों को दोमट मिट्टी (loamy soil) में आसानी से उगा सकते हैं। सागवान (Sagwan) के पौधों को कभी पानी जमा होने वाली जगह पर नहीं लगाया जाता है। ऐसी जगहें जहां जल जमा होते हैं वहां पौधों में रोग लगने का खतरा ज्यादा होता है। सागवान के पौधे सामान्य तापमान में अच्छा ग्रो करते हैं। सागवन के पौधों को ठंड वाले इलाकों में नहीं लगाया जाता है। इसकी खेती के लिए जमीन का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
सागवान की डिमांड
सामान्यत: सागवन (Sagwan) के एक पेड़ की कीमत 25,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक होती है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सागवान की खेती के लिए एक एकड़ में 120 सागवान के पौधों को लगाया जा सकता है। जब सागवान के पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं तो करोड़ों रुपये का बिजनेस बन सकते हैं।
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