Hockey World Cup: ओडिसा में आयोजित हॉकी वर्ल्ड कप पर हर किसी की नजर टिकी हुई है। हर किसी को भारत से काफी उम्मीदें हैं। भारतीय टीम का खेल काफी शानदार है। इसी टीम का हिस्सा हैं अमित रोहितदास जिनके खेल के कई फैन हैं। वे अमित रोहितदास ही थे जिन्होंने इस वर्ल्ड कप का पहला गोल भारत के नाम किया। अमित एक शानदार खिलाड़ी तो हैं ही साथ ही उनकी कहानी भी काफी इंस्पायरिंग है।
खराब आर्थिक स्थिति ने भी नहीं तोड़ा हौसला
अमित एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। उनका खेल जारी रहे इसलिए उनके माता-पिता ने दिन-रात मेहनत की। आज बेटा जिस मुकाम पर है उनका सर गर्व से ऊंचा हो गया है।
अमित रोहिदास के बारे में
अमित भारतीय टीम इंडिया के उप कप्तान हैं। वे पानपोष गांव की गलियों से राउरकेला स्टेडियम में वर्ल्ड कप तक बड़ी मेहनत से पहुंचे हैं। अमित ने अपने भाई को देखकर हॉकी खेलना शुरू किया। अमित बचपन में गोलकीपर थे पर उन्हें गोलकीपिंग करना पसंद नहीं था। अमित का खेल देखकर 2004 में पानपोष स्थित हॉकी अकादमी के हॉस्टल में उनका चयन हो गया। कोच ने देखा कि अमित एक अच्छे डिफेंडर हैं तो उन्होंने अमित को गोलकीपिंग छुड़ाई और डिफेंस में खिलाना शुरू किया। कोच के इस फैसले ने टीम इंडिया एक मजबूत डिफेंडर और जरूरत पड़ने पर मिडफील्ड और फॉरवर्ड में खेलने वाला प्लेयर मिल गया।
माता-पिता ने मजदूरी कर रखा खेल जारी
अमित के माता-पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। लेकिन उनके माता-पिता ने खेल जारी रखने में काफी सहयोग किया। 2 भाई और 5 बहनों की परवरिश करने के लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की ताकि अमित के खेल में कोई प्रभाव न पड़े।
अकादमी से मिली सुविधाएं
अमित और उनके भाई निरंजन दोनों के पास हॉकी स्टिक नहीं होती थीं। कई बार दूसरे खिलाड़ी जो हॉकी फेंक देते थे, वे उनसे ही प्रैक्टिस को जारी रखते थे। तो कभी खेलने के लिए जूते तक नहीं होते थे। पानपोष हॉकी अकादमी में सिलेक्ट होने के बाद हॉकी से जुड़ीं सभी तरह की जरूरतें अकादमी ने पूरी की। जरूरी डाइट और ट्रेनिंग के साथ वहां सभी तरह की सुविधाएं मिली। आज अमित भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।