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भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 28 नवंबर को भारत बायोटेक की इंट्रानेजल वैक्सीन 'फाइव आर्म्स' को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दे दी है। इस डोज को बूस्टर डोज के तौर पर दी जाएगी। साथ ही इसकी खुराक इंजेक्शन की बजाए नाक के जरिए दी जाएगी।
इंट्रानेजल वैक्सीन की खासियत
भारत बायोटेक की इस इंट्रानेजल वैक्सीन का नाम BBV154 रखा गया है। इस डोज का उपयोग प्राइमरी डोज के तौर पर इमरजेंसी यूज के लिए 6 सितंबर से किया जा रहा है। वैक्सीन की खुराक 18 साल से ज्यादा के लोगों को मिलती है। इसे दूसरे डोज के 6 महीने बाद लगवाया जा सकता है।
इसकी खासियत यह है कि यह शरीर में जाते ही यह कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक कर देती है। चूंकि इस वैक्सीन में किसी इंजेक्शन की आवश्यक्ता नहीं होती है, इसलिए इससे चोट लगने का कोई खतरा भी नहीं होता है। साथ ही हेल्थकेयर वर्कर्स को भी कोई खास ट्रेनिंग की आवश्यक्ता नहीं होती होगी।
वैक्सीन की 4 ड्रॉप्स में होगा काम
इंट्रानेजल वैक्सीन को कोवैक्सिन और कोविशील्ड जैसी वैक्सीन्स लेने वालों को बूस्टर डोज के तौर पर दे सकते हैं। भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला के अनुसार, पोलियो की तरह इस वैक्सीन की भी 4 ड्रॉप्स काफी असरदार हैं। दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाला जाता है।
219.89 करोड़ वैक्सीन डोज अब तक
स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा की मानें तो वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत से अब तक 219.89 करोड़ वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है। वहीं, 22 करोड़ से ज्यादा लोगों को बूस्टर डोज मिल चुकी है। 12 से 14 साल की उम्र के 7 करोड़ बच्चों को भी वैक्सीन लग चुकी है।
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