दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर चर्चा हो रही है। दिन-ब-दिन बढ़ते प्लास्टिक वेस्ट से हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं लगातार इलेक्ट्रानिक गैजेट्स की मांग और नए टेक्नोलॉजी के मार्केट में आने से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में भी इजाफा हुआ है। वैसे तो इलेक्ट्रानिक गैजेट्स और प्लास्टिक कचरा अलग-अलग लगते हैं। लेकिन प्रैक्टिकली देखा जाए तो दोनों ही एक दूसरे से रिलेटेड हैं। दरअसल कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में लगने वाली कंप्यूटर चिप्स और बैटरीज में ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है, जो रिसाइकिल नहीं होता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस प्लास्टिक को बायोडिग्रेडेबल मटेरियल से बदलने का विकल्प निकाल लिया है।
जोहैनस केप्लर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खोजा है प्लास्टिक कचरे का हल
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक शोध में इसका हल निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। इस रिसर्च में ऑस्ट्रिया की जोहैनस केप्लर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मशरूम की स्किन से इलेक्ट्रॉनिक सबस्ट्रेट तैयार किया है। सर्किट की बेस लेयर सबस्ट्रेट कहलाती है। यह इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसफर करने वाले मेटल्स को ठंडा और इंसुलेट करने का काम करता है।
खास मशरूम से बना है सर्किट का बेस
गैनोडर्मा लूसीडम मशरूम एक प्रकार का फंगस है, जो कि यूरोप और पूर्वी एशिया के सड़ते हुए पेड़ों पर उगाई जाती है। स्टडी में शामिल रिसर्चर्स ने शोध के दौरान यह पता किया कि ये मशरूम अपने सुरक्षित विकास के लिए जड़ जैसे नेटवर्क माइसेलियम से बनी त्वचा तैयार कर लेता है। वैज्ञानिकों के द्वारा प्लास्टिक की जगह इसी त्वचा को सुखाकर इस्तेमाल किया गया।
रिसर्च में मशरूम की त्वचा को निकाला और सुखाया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह लचीली और अच्छी इंसुलेटर की तरह काम करती है। यह इलेक्ट्रिकल सर्किट में भी अच्छे से काम करने की क्षमता रखती है। यह आसानी से 200 डिग्री सेल्सियस तापमान सहन कर सकती है।
लो क्षमता वाली डिवाइस में किया जाएगा उपयोग
वैज्ञानिकों के अनुसार कंप्यूटर चिप्स को बनाने में उन पेड़ों के मशरूम को इस्तेमाल किया जाएगा। जो, जो पूरी तरह बेकार हो जाते हैं। फिलहाल इससे बने सर्किट ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में उपयोग किए जाएंगेजो ज्यादा समय नहीं चलते। इनमें वियरेबल सेंसर और रेडियो टैग होते हैं। मशरूम स्किन के कारण ये रिसाइकिल भी हो सकेंगे।