Vermilion plants: हिमाचल प्रदेश में अब सिंदूर के पौधे उगाए जा रहे हैं। जहां यह किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होगा। इससे किसान लाखों रुपये की कमाई कर सकेंगे। बिक्सा ओरेलाना पौधे के कुछ बीज महाराष्ट्र से लाए गए थे जो साउथ अमेरिका में होने वाले सिंदूर के पौधे हैं। इन बीजों का हमीरपुर जिले के हर्बल गार्डन नेरी में अंकुरण प्रक्रिया का ट्रायल किया गया है, जो कि सफल रहा है। इस पौधे के लिए उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की जलवायु सही पाई गई है।
औषधीय पौधे हैं सिंदूर
सिंदूर के पौधे का औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। बिक्सा ओरेलाना सिंदूर का वानस्पतिक नाम है। कई लोग इसे सिंदूरी, कपिला के नामों से भी जानते हैं। सुहागिन महिलाओं और पूजा-पाठ में सिंदूर का विशेष स्थान है।
विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों जैसे लिपस्टिक बनाने, बाल रंगने और नेल पॉलिश बनाने में भी सिंदूर का उपयोग होता है। यहां लंबे समय तक ट्रायल के बाद यह बीज अंकुरित हुए हैं। जिसके बाद अब हर्बल गार्डन में सिंदूर का मदर प्लांट तैयार हो गया है।
व्यवसायिक खेती में हो सकता है लाभदायक
इस बहुमूल्य औषधीय पौधे की व्यवसायिक खेती करने के बारे में प्रदेश सरकार काम कर रही है। इससे किसान अच्छी कमाई कर आत्मनिर्भर बनने की राह पर अग्रसर हो सकते हैं। बता दें एक पौधे से कम से कम डेढ़ किलोग्राम सिंदूर निकाला जाता है। बाजार में सिंदूर की कीमत 300 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है। पौधे में सिंदूर बीज के गुच्छे लगते है, जिसे पीसकर सिंदूर तैयार किया जाता है। बरसात का मौसम पौधरोपण के लिए सही होता है। एक बीघा जमीन में लगभग 250 पौधे 10 फीट की दूरी पर लगा सकते हैं। सरकार अगर इसके उत्पादन और मार्केटिंग पर ध्यान देगी तो प्रदेश के किसान पारंपरिक खेती से लाभकारी खेती की ओर जा सकते हैं।
सिंदूर से बनाई जाती दवाईयां
औषधीय गुणों के अलावा सिंदूर एंटीपायरेटिक, एंटीडायरल, एंटी डायबिटिक होने के साथ ही इसका रस महत्वपूर्ण दवाइयां बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। यह खून की गति को बढ़ाने के लिए और रक्त शोधन व हृदय की शक्ति बढ़ाने में रामबाण दवाई के रूप में काम करता है।
Leave a comment
Your email address will not be published. Required fields are marked *