Self-help: अच्छे पड़ोसी होकर भी आप समाज में ला सकते हैं सकारात्मक बदलाव, स्वयं के व्यक्तिव के लिए भी जरूरी!



अक्सर यह देखने को मिलता है कि लोग अपनी सुख-सुविधाओं को लेकर इतने स्वार्थी हो जाते हैं कि आसपास रहने वाले लोगों का ख़्याल उन्हें नहीं रहता है। हम बात कर रहे हैं पड़ोसी होने के एटिकेट्स के बारे में। ऐसा नहीं है कि हम कुछ अच्छे बदलाव कर सिर्फ दूसरों का ही भला करेंगे। कुछ आदतों में बदलाव और सुधार के साथ हम समाज को एक बेहतर दिशा तो देंगे ही साथ ही खुद के व्यक्तित्व में भी पॉजिटिव बदलाव ला सकते हैं।

ऊंची आवाज़ में संगीत न सुनें

कभी-कभी लोग ऊंची आवाज़ में गाने सुनना पसंद करते हैं। इसके अलावा दोस्तों के साथ पार्टी के दौरान देर रात तक गाना बजाना भी करते हैं। जिससे आसपास रहने वाले लोगों को दिक़्क़तों का सामना करना पड़ जाता है। हालांकि पड़ोसी होने के नाते दूसरे पड़ोसी कई बार इन बातों को नज़रअंदाज़ भी कर देते हैं। लेकिन जब कभी पड़ोसी इसकी शिकायत करते हैं तो लोगों को लगता है कि वे उनकी आज़ादी को नहीं समझ रहे हैं। ऐसे मौकों पर इस बात का ख़्याल रखें कि अपने आनंद के लिए दूसरों को परेशान न करें। अगर सामने वाला भी ऐसा ही व्यवहार करे तो आपको भी परेशानी होती है।

शोर करने से बचें

अक्सर एक परेशानी काफी कॉमन होती है, कि उनके पड़ोसी रात में या तो फर्नीचर व्यवस्थित करते हैं या फिर किसी तरह की ठोक-पीट से उन्हें परेशान करते हैं। अगर आपको फर्नीचर अरेंज करना है या तस्वीर आदि के लिए कीलें ठोकनी हैं तो समय का ख़्याल करें। ख़ासतौर से तब जब आप फ्लैट में रह रहे हों। तब समय तय कर लें क्योंकि यहां छतें व दीवारें साझा होती हैं, जिनसे आवाज़ें आसपास के घरों में दूसरों को परेशान कर सकती है।

पार्किंग करते समय रखें ख्याल

अक्सर देखने में आता है कि पार्किंग को लेकर पड़ोसियों में बहस हो जाती है। लोग दूसरों के घर के सामने अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं। जिससे किसी और को परेशानी हो जाती है। अगर ये आपको पसंद नहीं है तो दूसरों के साथ भी ऐसा हो सकता है। इसलिए दूसरों की भावनाओं का भी ख्याल रखें।

बच्चों की शरारतों पर रखें ध्यान

अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो उन्हें घर के अंदर या फिर पार्क में खेलने के लिए सिखाएं। बच्चे अक्सर पड़ोसी के घर के सामने खेलते हैं, जिससे उन्हें परेशानी हो सकती है। जैस बॉल या कोई खिलौना उनकी छतों पर चला जाता है और बच्चे घंटी बजा-बजाकर तंग करते हैं। कई बच्चे तो मस्ती में पड़ोसी का दरवाज़ा बाहर से लगा आते हैं तो कभी घंटी बजाकर भाग जाते हैं या फिर क्रिकेट खेलते समय खिड़की के शीशे भी तोड़ देते हैं, ये बातें झगड़ों का ही नहीं बच्चों में ग़लत आदतों का कारण भी हो सकती हैं। इन बातों का खास ख्याल रखें।

पूछताछ करना

कई लोगों की आदत में शामिल होता है कि वे पड़ोसी के घर में क्या चल रहा है यह जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं। घरों में आने वाले कामगारों से वे पड़ोसी घरों की जानकारी भी लेते रहते हैं। ये आदत काफी नकारात्मक आदत है। इसलिए कोशिश कीजिए कि वक़्त रहते इस आदत को बदल लें।

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Dr. Kirti Sisodhia

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