केंद्र सरकार ने बॉयोलॉजिकल-ई कंपनी की कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को बूस्टर डोज की तरह उपयोग करने की अनुमति दे दी है। इसे कोवीशील्ड और कोवैक्सिन लगवा चुके वयस्क बूस्टर डोज की जगह लगवा सकते हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब बूस्टर डोज के लिए पहले से लगाई गई वैक्सीन से दूसरा कोई वैक्सीन भारत में लगाई जा रही है।
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्युनाइजेशन (NTAGI) ने 2 अगस्त को हेल्थ मिनिस्ट्री से कॉर्बेवैक्स को बूस्टर डोज की जगह पर उपयोग करने की सिफारिश की थी। भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित RBD प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन कॉर्बेवैक्स का इस्तेमाल फिलहाल 12 से 14 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन में हो रहा है।
दूसरा डोज लगाने के 6 महीने बाद लगेगी बूस्टर डोज
कोवैक्सिन या कोवीशील्ड वैक्सीन लगा चुके वयस्क, दूसरा डोज लगवाने की तारीख से 6 महीने या 26 हफ्ते बाद ही कॉर्बेवैक्स को बूस्टर डोज के तौर पर लगवा सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, बूस्टर डोज के तौर पर मौजूदा गाइडलाइन में जल्द ही संशोधन होगा। कोविन पोर्टल पर भी कॉर्बेवैक्स को बूस्टर के तौर पर लगाए जाने से जुड़ी गाइडलाइंस में बदलाव हो रहा है।
जुलाई में कोविड वर्किंग ग्रुप ने की थी स्टडी
कोविड वर्किंग ग्रुप (CWG) ने 20 जुलाई की बैठक में, डबल-ब्लाइंड रैंडमाइज्ड फेज-3 क्लिनिकल स्टडी के डेटा का रिव्यू करवाया था। इसके आधार पर वयस्क को लगाए जाने के बाद इसके असर को देखा गया। इसके बाद के रिजल्ट्स में CWG ने पाया कि कॉर्बेवैक्स वैक्सीन को बूस्टर के तौर पर लगाने के बाद एंटीबॉडी में तेजी आई थी।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 4 जून को कॉर्बेवैक्स को 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज के तौर पर हरी झंडी दिखाई थी।
10 अप्रैल से सभी वयस्कों को लग रहे हैं बूस्टर डोज
भारत में 10 जनवरी से हेल्थ केयर, फ्रंटलाइन वर्कर्स को और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर डोज लगाने की शुरुआत हुई थी। 16 मार्च से 12-14 साल के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन अभियान की शुरूआत की गई थी। इसी दिन 60 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को बूस्टर डोज की मंजूरी भी मिली थी। देश में 10 अप्रैल को 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को कोरोना के बूस्टर डोज लगाए जाने की मंजूरी दी गई थी।
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