Bundelkhand Expressway: यूपी को मिला बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, पीएम मोदी ने किया उद्धाटन!



आजादी के 75 सालों के बाद भी बुंदलेखंड को मिला तो महज राजनीतिक दिलासाएं। बुंदेलखंड अपनी सांस्कृतिक विरासताओं से हमेशा लबरेज रहा। ऐसा नहीं था कि बुंदेलखंड के पास अपने लिए कुछ नहीं था मगर संसद और विधानसभाओं में बैठे लोगों ने सिर्फ इसका सीना चीरा। देश और विदेश में बुंदलखंड की सुर्खियां बनी तो इस कारण कि यहां पर किसान आत्महत्याएं हुईं, यहां पर दहेज के लिए बेटियों को मारा गया, यहां पर किसान का परिवार घास की रोटी खाने को मजबूर हुआ। खनन की खान से लेकर खेती की उर्रवक जमीन भी इसके नसीब में लिखी है। आज एक सुखद तस्वीर सामने आ रही है। इस तस्वीर को देखकर यहां के मुरझाएं चेहरों में एक मासूम मुस्कराहट दिख रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन आज पीएम मोदी करने जा रहे हैं।

?75 साल तक ठगा गया बुंदेलखंड को

ये महज एक एक्सप्रेसवे नहीं है बल्कि लाखों लोगों के लिए एक आस है। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए वहां का यातायात सिस्टम बहुत मजबूत होना चाहिए। लेकिन बुंदेलखंड में तो न सड़कें थीं, न पानी था न बिजली थी। तमाम सियासतदानों ने यहां पर अपनी राजनीतिक रोटियां तो सेंकी मगर वो रोटी इन किसान के पेट में कभी नहीं पहुंची थी। बुंदेलखंड का एक नागरिक होने के नाते मैंने हमेशा लाखों करोड़ों के पैकेज का नाम सुना मगर इतना पैसा कहां गया आजतक इस सवाल का जवाब मुझे नहीं मिला। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से बुंदेलखंड के लोगों को यातायात में फायदा तो होगा ही इसके अलावा यहां का विकास को गति मिलेगी।

4 लेन एक्सप्रेसवे

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे 296 किलोमीटर का फोरलेन एक्सप्रेसवे होगा। ये महोबा के उत्तर, हमीरपुर के दक्षिण से होता हुआ, जालौन, औरैया और इटावा होते हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर मिलता है। अब आप सोच रहें होंगे कि इससे विकास कैसे होगा। एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल एरिया डेवेलोप होंगे। इसका भी प्रस्ताव बनाया जा चुका है। इस साल 500 करोड़ रूपये केवल इंडस्ट्रियल डेवेलोपमेंट के लिए रखा गया है। इसके अलावा जालौन और बांदा में इंडस्ट्रियल हब बनेगा। जिसके लिए रूपरेखा पहले ही तैयार हो चुकी है।

यूपी का होगा विकास

पीएम मोदी ने दो डिफेन्स कोरिडोर की घोषणा की थी। एक यूपी और एक तमिलनाडू में। यूपी के डिफेन्स कोरिडोर को 6 नोड्स में घोषणा में शामिल किया गया था। उसमे चित्रकूट, झांसी,लखनऊ, कानपूर, आगरा, अलीगढ़ है। इसमें झांसी के नोड्स को इस एक्सप्रेसवे से जोड़ा जायेगा। जिससे झांसी के लोगों को भी इस एक्सप्रेसवे से लाभ मिलेगा। इसमें जो मटेरियल यूज किया गया है वो अपडेटेड वैराइटी का विटमिन यूज किया गया है, जिसकी स्टेयिंग कैपसिटी ज्यादा होती है। इस विटमिन में प्लास्टिक वेस्ट का भी इस्तेमाल किया गया है।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे में कितना कुछ

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में चार रेलवे ओवरब्रिज, 14 लंबे पुल, 6 टोल प्लाजा, 7 रैंप प्लाजा, 266 छोटे पुल और 18 फ्लाईओवर बनकर तैयार हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनकर पूरी तरह तैयार हो गया है। सात जिलों से गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे का 90 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका है। इसके तीन पुल अभी बनने को रह गए हैं। ये तीन पुल का एक तरफ का हिस्सा तो बन गया है मगर दूसरे तरफ का हिस्सा अभी तैयार नहीं हुआ है। जो पुल रह गए हैं वो केन, बेतवा और यमुना में बनने हैं। ये तीनों पुल बांदा,हमीरपुर में बनने हैं। अभी इसका टोल भी बनकर तैयार नहीं हुआ है। इसके टोल में बुंदेलखंड की ऐतिहासिकता को उकेरा जा रहा है।
सात जिलों से होकर गुजर रहा है एक्सप्रेसवे

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड के सात जिलों से होकर गुजर रहा है। ये चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर,जालौन, औरैया और इटावा से होकर गुजर रहा है। यानी की इन जिलों के जो लोग अगर दिल्ली जाना चाहेंगे इस एक्सप्रेस से महज आठ से नौ घंटे में ही पहुंच सकेंगे। यानी कि उदाहरण के तौर पर अगर हम बांदा को ले तो बांदा से दिल्ली जाने में अभी ट्रेन से 12 घंटे और कार से 12 घंटे से ऊपर का वक्त तय करना होता है। बांदा से पहले कानपुर जाना होता है, कानपुर के बाद लखनऊ एक्सप्रेसवे पकड़ना होता है और फिर यमुना एक्सप्रेसवे। अब इस पुल के बन जाने के बाद कानपुर जाने की कोई जरूरत नहीं होगी। बांदा के महोखर गांव के पास से ही अब सीधे इस एक्सप्रेस वे पर आपको चढ़ना होगा और फिर सीधे इटावा जाकर निकलेगा। इटावा से आप लखनऊ एक्स्प्रेसवे ले लेंगे और फिर यमुना एक्सप्रेसवे। यानी की आपका सीधे-सीधे चार घंटे का वक्त इससे बच जाएगा।

बुंदेलखंड का सामरिक इतिहास

बुंदेलखंड का एक सामरिक इतिहास रहा है। यहां पर आल्हा ऊदल, रानी लक्ष्मीबाई का सुंदर इतिहास चस्पा है। पर्यटन के नजरिये ये अगर आप इस क्षेत्र को देखेंगे तो चित्रकूट है। जहां पर भगवान श्रीराम से अपने वनवास काटा था दूर-दूर से लोग यहां पर दर्शन करने आते हैं मगर अभी भी ये क्षेत्र विकास से दूर है। यहां पर अभी भी काफी समस्याएं हैं। इसके अलावा कालिंजर का अजेय किला मौजूद है। इतिहास में दर्ज एकमात्र ऐसा किला जहां मुगल कब्जा नहीं कर पाए थे। इसके अलावा खजुराहो, झांसी, पन्ना, इसके अलावा बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां पर टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं मगर आजतक किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की खासियत तो जानिए

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बाग, केन, श्यामा, चंदावल, यमुना, बेतवा और सेंगुर नदियों से गुजरा है। 296 किलोमीटर की लंबाई में 4 रेलवे ओरवरब्रिज, 14 बड़े पुल, 286 छोटे पुल, 19 फ्लाईओवर और 224 अंडरपास बनाए गए हैं। इतनी दूरी में 6 टोल-प्लाजा मिलेंगे। 13 पॉइंट्स से एक्सप्रेस-वे पर चढ़ा-उतरा जा सकेगा। फिलहाल 4 लेन एक्सप्रेस-वे का भविष्य में 2 लेन विस्तार कर 6 लेन बनाया जा सकेगा। यह पूरी तरह एक्सेस-कंट्रोल्ड होगा। 4 जगहों पर पेट्रोल पंप और 4 जगहों पर जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *