सुर्य की रोशनी के बाद विटामिन D का सबसे अच्छा सोर्स मछली और दूध से बनी चीजों को माना गया है। लेकिन जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से अब टमाटर भी इस न्यूट्रिएंट का बड़ा सोर्स बनेंगे। दरअसल, इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने प्लांट बेस्ड डाइट का उपयोग करने वालों के लिए इस खोज को अंजाम दिया है।
बता दें कि दुनिया भर में विटामिन D की कमी से 100 करोड़ लोग जूझ रहे हैं। यह दिल की बीमारी से लेकर कैंसर तक, कई गंभीर रोगों की वजह है। एक स्टडी के मुताबिक भारत में करीब 76% लोग विटामिन D डेफिशिएंसी के शिकार हैं।
टमाटर के जेनेटिक कोड हुआ है बदलाव
टमाटर को विटामिन D से पूर्ण बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने CRISPR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। यह जीन्स के लिए एक तरह से कैंची की तरह काम करती है। इसके जरिए शोधकर्ता किसी भी चीज के जेनेटिक कोड में बदलाव करने में सक्षम हो पाते हैं।
वैज्ञानिकों ने CRISPR टूल्स का उपयोग कर टमाटर के जीनोम स्ट्रक्चर में ऐसे बदलाव किए, जिनसे टमाटर और उसके पत्तों में 7-DHC कॉम्पोनेंट इकट्ठा होने लगे। यह कॉम्पोनेंट टमाटर के पत्तों में प्रकृतिक रूप से मिलता है और विटामिन D3 बनाने के काम आता है। विटामिन D3 ही विटामिन D के लेवल को सबसे अच्छे तरीके से बढ़ाता है।
1 टमाटर में 2 अंडों जितना विटामिन D
वैज्ञानिकों ने टमाटर और उसके पत्तों को अल्ट्रावायलेट (UV) प्रकाश में एक घंटा एक्सपोज किया। नतीजा ये हुआ कि एक टमाटर में 2 अंडों या 28 ग्राम टूना मछली के बराबर विटामिन D मिला। यह रिसर्च नेचर प्लांट्स जर्नल में प्रकाशित की गई है।
सनलाइट में भी की जाएगी रिसर्च
रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया है कि बदले गए टमाटरों पर UV लाइट की जगह प्राकृतिक सनलाइट का भी असर देखा जा सकेगा। इसके लिए इन टमाटरों को अब बाहर सूरज की रोशनी में ही उगाएंगे इससे यह समझ आ जाएगा कि इनमें मौजूद 7-DHC विटामिन D3 में कन्वर्ट हो रहा है या नहीं।