राजस्थान सरकार शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करने जा रही है। अब राज्य में नए सत्र में कक्षा एक से आठवीं तक के करीब 50 लाख बच्चों की पढ़ाई का पैटर्न बदला जाएगा। जिसके तहत कोरोना काल में हुए लर्निंग गैप को दूर करने के लिए एक जुलाई से ब्रिज कोर्स की शुरूआत की जाएगी।
कई महीनों की पढ़ाई ब्रेक के बाद अब लगभग सालभर तक दो क्लासों में यह कोर्स चलाई जाएगी। इसकी खास बात यह है कि कक्षाओं में लर्निंग लेवल के हिसाब से बच्चों के अलग-अलग ग्रुप बनेंगे। राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आरएससीईआरटी) ने एक वर्कबुक तैयार की है। इनमें दो पुरानी कक्षाओं की पाठ्यसामग्री को शामिल किया गया है। ब्रिज कोर्स में हिंदी, अंग्रेजी और गणित विषयों को पढ़ाया जाएगा। इसके तहत बच्चों की भाषायी और गणितीय दक्षता में सुधार लाने का प्रयास किया जाएगा।
क्या है ब्रिज कोर्स?
Bridge Course को कम अवधि में पूरा किया जाता है। इसे फ़ास्ट लर्निग के नाम से भी जाना जाता है। NCRT की तरफ से शिक्षा के अधिकार से वंचित बच्चों के लिए तैयार किया गया है। शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चो को उनकी उम्र के हिसाब से कक्षा में भर्ती देना जरूरी किया गया है। माना कि एक बच्चे की उम्र 14 साल है, उम्र के हिसाब से उस बच्चे का दाखिला आठवीं कक्षा में होगा। लेकिन वह बच्चा आठवीं क्लास में कैसे पढ़ेगा जब उसने पिछली कक्षा की पढ़ाई ही पूरी नहीं की। इन सभी परेशानियों को नजर में रखते हुए NCRT ने ब्रिज कोर्स तैयार किया था। जिसके जरिये आठवीं कक्षा में दाखिला लेने वाला छात्र कम समय में तेजी से पिछली कक्षाओं की पढ़ाई को पूरा करें। ब्रिज कोर्स को इस तरह से तैयार किया गया है की छात्र फ़ास्ट ट्रैक लर्निंग की मदद से अपने पिछली कक्षा की पढ़ाई को पूरी कर सके।