जमशेदजी टाटा….यह नाम अपने आप में एक प्रेरणा है। जमशेदजी
टाटा वो नाम है जिसने भारत को एक नई पहचान दी। एक सफल उद्यमी होने के साथ उन्होंने
मानवीय और नैतिक मूल्यों को भी तवज्जो दी। उनके कार्यों ने ये साबित कर दिया कि दया
और परोपकार की भावना से पूरी दुनिया जीती जा सकती है। एक बार फिर जमशेदजी टाटा ने अपने कार्यों से
भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। हुरून और एडेलगिव फाउंजेशन ने एक रिपोर्ट
तैयार की है जिसमें 50 ऐसे दानदाताओं की सूची बनाई है जिन्होंने अपनी संपत्ति परोपकारिता
के लिए दान की है। इस सूची में पहला नाम है हमारे अपने जमशेदजी टाटा का।
क्या कहती है रिपोर्ट?
हुरुन और एडेलगिव फाउंडेशन की
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 50 दानदाता परोपकारियों की सूची में
भारत के दिग्गज उद्योगपति जमशेदजी टाटा पहले नंबर पर हैं। उन्होंने एक सदी में 102
अरब अमेरिकी डॉलर यानी कि करीब 7.57 लाख करोड़ रुपये दान किए हैं।
20 हजार की शुरूआती पूंजी से
ट्रेडिंग कंपनी की शुरूआत करने वाले जमशेदजी टाटा का टाटा ग्रुप आज भारत के सबसे
बड़े औद्योगिक घरानों में से एक बन चुका है। जमशेदजी टाटा ने भारत की पहली स्वदेशी
कंपनी बनाई। वह चाहते थे कि भारत में एक उच्च-स्तरीय विज्ञान विश्वविद्यालय की
स्थापना हो और ये उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि भारतीय विज्ञान संस्थान यानी IIT की स्थापना हुई। देश के सफल
औद्योगिकरण के लिए भी उन्होंने काम किया।
इस रिपोर्ट में जमशेदजी टाटा के अलावा
विप्रो के अज़ीम प्रेमजी भी शामिल हैं जिन्होंने परोपकारी कार्यों के लिए लगभग 22
अरब अमेरिकी डॉलर दिए हैं। ये किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात है कि वैश्विक
स्तर पर देश का नाम शीर्ष पर है। उनके अतुलनीय कार्यों ने भारत को एक अलग पहचान दी
है।