ONLINE SHOPPING: फेक रिव्यू फ्री होंगे ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स, सरकार बना रही है नियम!



सरकार ऑनलाइन फ्रॉड को खत्म करने की योजना बना रही है। जिसके लिए सरकार ई-कॉमर्स वेबसाइट पर फेक रिव्यू पर लगाम लगाने के लिए नए फ्रेमवर्क पर काम करेगी। कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री के द्वारा एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) को 27 मई को स्टेकहोल्डर के साथ एक वर्चुअल मीटिंग की। जिसमें कहा गया है कि अगर आप किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से सामान खरीदकर या बिना खरीदे उसके बारे में फेक यानी झूठे रिव्यू लिखते हैं तो ऐसा करना बंद करना होगा।

फेक रिव्यू के खिलाफ सरकार के कदम

इस मीटिंग में सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों से पूछा कि क्या उन्होंने फेक रिव्यू लिखने वालों के लिए कुछ काम किया है। इस मीटिंग में सरकार फेक रिव्यू से पड़ने वाले सभी बुरे प्रभावों के बारे में कंपनियों के साथ चर्चा कर रही है। भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय ने इस बारे में कहा कि किसी भी सर्विस या प्रोडक्ट का फेक रिव्यू यूजर्स को उन्हें खरीदने के लिए गुमराह करने के लिए होता है। मंत्रालय ने कहा कि उनकी इस मीटिंग का मकसद उपभोक्ता पर पड़ने वाले 

फेक रिव्यू के असर पर चर्चा करना है, फेक रिव्यू का आकलन करना और इसे रोकने के लिए कदम उठाने के लिए है।

ई-कॉमर्स कंपनियां देगीं जवाब

इसे लेकर उपभोक्ता मामलों के विभाग के द्वारा सभी प्लेटफार्म जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट, टाटा संस, रिलायंस रिटेल जैसे तमाम ई-कॉमर्स वेबसाइट्स को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया है। कंपनियों से पूछा गया है कि कभी फेक रिव्यू से उपभोक्ता पर पड़ने वाले असर पर विचार किया गया है या नहीं।

क्या कंपनी कभी फेक रिव्यू का आकलन हुआ है, क्या कभी कंपनी ने इस बात को देखा है कि यूजर्स ने रिव्यू लिखें हैं, वो सही है भी या नहीं।

ग्राहकों को गुमराह करना गलत

ज्यादातर ग्राहक अब दुकानों में जाकर खरीदारी करने के बजाय ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए घर-बैठे खरीदारी करना पसंद करते हैं। ऐसे में वे किसी भी प्रॉडक्ट या सर्विस को खुद समझ नहीं पाते हैं, जैसा कि वो दुकान में करते हैं। ग्राहक प्रोडक्ट की पिक्चर्स से ही खरीदना, नहीं खरीदना तय करते हैं।

इसके साथ ही अक्सर ग्राहक उस प्रोडक्ट के लिए लोगों के रिव्यू को ही पढ़ते हैं और उसी पर भरोसा करके प्रॉडक्ट्स को खरीदते भी हैं। ऐसे में अगर रिव्यू झूठे या गलत हो तो ग्राहक का काफी नुकसान हो जाता है। सरकार ने बताया कि फेक रिव्यू कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट 2019 के तहत दिए गए सूचना का अधिकार यानी राइट टू बी इंफॉर्म के नियम को तोड़ता है और इसे रोकने के लिए कंपनियों को जल्द ही कदम उठाने की जरूरत है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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