कोलकाता की ‘कैफे पॉजिटिव’, HIV+ लोगों को देती है रोजगार; बनी एशिया की पहली ऐसी कैफ़े



Highlights:

• 2018 में की थी कैफे की शुरुआत
• एशिया का पहला HIV+ लोगों को काम देने वाला कैफ़े
• सभी कर्मचारी HIV पॉजिटिव युवा हैं, सभी ‘आनंदघर’ में पले बढ़े हैं
• कल्लोल ने की ‘आनंदघर’ की भी स्थापना

जिसे समाज पराया कर देता है, साथ बैठना नहीं चाहता है, उसे कोलकाता के रहने वाले कल्लोल घोष न सिर्फ आसरा दे रहे हैं, बल्कि उनके लिए रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। साथ ही सोसाइटी के सामने वर्षों से बने मिथ्या को तोड़ रहे हैं।

एशिया का पहला ऐसा कैफे

घोष ने ‘कैफे पॉजिटिव’ की शुरुआत 2018 में की थी। इस कैफे की खासियत है कि यहां HIV पॉजिटिव लोग काम करते हैं। घोष का दावा है कि ये एशिया का पहला ऐसा कैफे है। कल्लोल घोष का कहना है कि समाज इसे कलंक के तौर पर देखता है। वह शुरू से इस कलंक को खत्म करने और HIV संक्रमित लोगों के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

घोष आगे बताते हैं कि 14 जुलाई 2018 को कोलकाता के जोधपुर पार्क में 100 स्क्वायर फुट के एक छोटे से गैरेज से कैफे पॉजिटिव की शुरुआत की थी। इसके बाद कोलकाता के लेक व्यू रोड में इसे शिफ्ट किया गया। इस वक्त कैफे पॉजिटिव में 8 HIV संक्रमित युवक-युवतियां काम कर रहे हैं।

इस तरह के कैफे को शुरू करने का विचार कब आया?

इस सवाल के जवाब में कल्लोल घोष कहते हैं, साल 2006 में वह जर्मनी के म्यूनिख स्थित एक रेस्तरां में गए थे। यह HIV पॉजिटिव युवाओं द्वारा चलाया जा रहा था। यही देखकर उनके मन में अपने देश में HIV पॉजिटिव युवाओं के लिए कुछ करने का विचार आया।

‘आनंदघर’ की भी स्थापना की

कल्लोल घोष ने ‘आनंदघर’ की भी स्थापना की है। ये संस्थान मानसिक स्वास्थ्य से प्रभावित बच्चों और HIV पॉजिटिव लोगों के लिए काम करती है। घोष OFFER नाम से एक NGO भी चलाते हैं।

कल्लोल घोष को उनके कामों और उपलब्धियों के लिए प्रतिष्ठित सीनियर अशोका फेलो अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। पढ़ाई के बाद घोष ने यूनिसेफ के साथ भी काम किया और साल 2000-2003 के दौरान बाल अधिकारों से संबंधित कार्यों में जुड़ गएं। अभी कल्लोल घोष स्ट्रीट चिल्ड्रन, HIV, एड्स संक्रमित बच्चों, मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए काम कर रहे हैं।

अपने कैफे को लेकर कल्लोल घोष कहते हैं, कैफे को लेकर सोसाइटी का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। आर्ट एंड कल्चर, फिल्म बिरादरी, राजनेता, आर्टिस्ट और छात्र जीवन के सभी क्षेत्रों के प्रगतिशील नागरिक इस कैफे में आते हैं। लगातार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। लोग आकर यहां लंच-डिनर चाय-कॉफी पीते हैं।

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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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