BSF ने सरहदी गांवों के युवाओं को नशे से दूर कर रोजगार से जोड़ा, सेना से जुड़ने के मौके भी दे रहे



Highlights:

• बड़ी चुनौती नौजवानों को नशे व तस्करी से दूर रखना
• महिलाएं व लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जा रही है
• किसानों को बागवानी के बारे में सिखाया जा रहा है

पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के गांव गट्‌टीमस्ता के ज्ञानसिंह काम करके जितना कमाते थे, वो पूरी कमाई शराब पर उड़ा देते थे। इससे पोते पर भी बुरा असर पड़ रहा था। बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) की काउंसिलिंग और उपचार के बाद शराब पूरी तरह छूट गई है। अब पूरी कमाई, परिवार की खुशियों के लिए खर्च करते हैं।

गांव की ही गुरमेज कौर बताती हैं, ‘पति मजदूरी करते हैं, पर इसमें घर चलाना मुश्किल है। बीएसएफ के कैंप में सिलाई की ट्रेनिंग ली। अब आत्मनिर्भर हो गई हूं। इससे परिवार की गुजर-बसर में भी मदद कर पा रही हूं’। गांव बस्ती खानके युवा आकाश सिंह बताते हैं, ‘पढ़ाई के बाद मैं बेरोजगार था। बीएसएफ कैंप में मुझे बिजली से जुड़े काम की ट्रेनिंग मिली। अब हर महीने 8 से 10 हजार कमा रहा हूं। अब तो आसपास के गांवों से भी लोग बुलाने लगे हैं।’

पाक सीमा से सटे पंजाब में बदलाव

ये बदलाव पाक सीमा से सटे पंजाब के 553 किमी सीमा के करीबी गांवों में देखा जा रहा है। इन गावों में बीएसएफ की करीब 140 कंपनियां तैनात हैं। सुरक्षा के साथ ये जवान सीमावर्ती गांव के लोगों की जिंदगी भी बदल रहे हैं। फिरोजपुर सेक्टर की अगर बात करें तो करीब 100 गांव बॉर्डर एरिया में हैं।

नौजवानों को नशे दूर रखना सबसे बड़ी चुनौती

इन गांवों में सबसे बड़ी चुनौती नौजवानों को नशे व तस्करी से दूर रखना है। बीएसएफ इन युवाओं को ट्रेनिंग कैंपों में खेलों से जोड़कर सेना व पुलिस में जाने के लिए प्रेरित कर रही है। गांव-गांव जाकर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है, ताकि सीमापार से होने वाली नशे की तस्करी को रोका जा सके। इसके अलावा महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए कामकाज के साथ जरूरी सामान मुहैया करवाया जा रहा है।

महिलाएं और लड़कियां सिलाई से तो नौजवान इलेक्ट्रिशियन और कारपेंटर जैसे पेशों से जुड़ गए हैं। जो पहले कुछ नहीं करते थे अब हर महीने 10 से 15 हजार रुपए कमा रहे हैं। गांव के किसानों को भी खेती में विविधता के साथ बागवानी के बारे में सिखाया जा रहा है। बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत इन कोशिशों से फाजिल्का, गुरदासपुर, अमृतसर, अबोहर चार सेक्टर में गांवों की तस्वीर बदलने लगी है। महिलाएं व लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।

खेलों की तरफ रुझान बढ़ा, सुरक्षा बलों के लिए तैयारी भी

गांव राजा राय के बलविंदर सिंह बताते हैं, यहां ट्रेनिंग के बाद युवाओं का रुझान खेलों में बढ़ा है। पहले रोजगार का संकट था, पर अब इसमें कमी आई है। गांव गहोरा चक्क के सरपंच सुरजीत सिंह बताते हैं कि बीएसएफ युवाओं के लिए वॉलीबॉल, फ़ुटबॉल जैसी प्रतियोगिता करवाती है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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