Urban Farming: खेती की अनोखी तकनीक, घर पर ही उगा सकते हैं ताज़ी और केमिकल फ्री सब्ज़ियां



गांवों में खेती की ज़मीन का दायरा कम हो रहा है। ऐसे में सोसायटी एक नए तरह के कॉन्सेप्ट को एडॉप्ट कर रही है, जिसका नाम है अर्बन फार्मिंग (urban farming)। इसे शहरी खेती कहा जा रहा है। इसका कॉन्सेप्ट विदेश से चलकर भारत आया है। इसे भारत में भी लोग पसंद कर रहे हैं और सरकार इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में राज्य में स्मार्ट अर्बन फार्मिंग का फैसला लिया है।

अगर आप या आपके जानने वाले शहर में रहते हैं तो अर्बन फॉर्मिंग के बारे में दी जा रही हमारी जानकारी आपको पसंद आएगी। इसे अपनाकर आप घर बैठे ताज़ी, हेल्दी और केमिकल फ्री सब्ज़ियों (fresh vegetables) का आनंद ले सकते हैं।

क्या होती है अर्बन फार्मिंग ?

अर्बन फार्मिंग घर के बाहर किसी छोटे बगीचे, छत या दीवार पर की जा सकती है। आजकल छत, बालकनी, घर की दीवारों पर लोग फल और सब्जी उगा रहे हैं। घर के अंदर बने वर्टिकल खेत पर भी फार्मिंग हो रही है।

बालकनी और बगीचे में फार्मिंग-

आप अपने घर की छत का इस्तेमाल टेरेस फार्मिंग के लिए कर सकते हैं। आप कई तरह के फल-फूल और सब्जियां टेरेस पर उगा सकते हैं। एलोवेरा, टमाटर, नींबू, मिर्च, गुलाब समेत जो फूल आप पसंद करते हों, उन्हें अपनी छत का हिस्सा बना सकते हैं।

घर की बाहरी और अंदर की दीवारों पर खेती

आपने, अपने घर पर दादी या मां को बेल वाली सब्ज़ियों को लगाते हुए देखा होगा। लौकी, तोरई, करेला, कद्दू जैसी सब्ज़ियों की बेल होती है। उन्हें दीवार का सहारा दिया जाता है। आप भी ये खेती आसानी से कर सकते हैं।

बालकनी में खेती

अगर आपकी बालकनी बड़ी है तो बड़े-बड़े गमलों में आप अपनी पसंद के फूल, धनिया, पुदीना और ब्रोकली जैसी सब्ज़ियां लगा सकते हैं। इससे बालकनी भी ख़ूबसूरत लगेगी और ताज़ी सब्ज़ियों का स्वाद भी आपको मिलेगा।

सब्ज़ियों और फलों में कीटनाशक का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा होता है। ये आपकी सेहत के लिए नुक़सानदेह होता है। ऐसे में घर पर बिना रसायन के होने वाली ये खेती सेहत के लिए भी फायदेमंद होगी। इसके साथ ही साथ अगर खेती की घटती जमीन को ध्यान में रखा जाए तो भविष्य के लिए ये विकल्प अच्छा है। आप ये जानकर भी हैरान होंगे कि बिना मिट्टी और बिना पानी के भी खेती मुमकिन है।

कहां से मिल सकती है आपको मदद ?

आई खेती (मुंबई ), द लिविंग ग्रीन (जयपुर), होमक्रॉप (हैदराबाद), खेतीफाई (दिल्ली) जैसे स्टार्टअप लोगों को अर्बन फार्मिंग का सेटअप तैयार करने में मदद कर रहे हैं। अगर आपको फार्मिंग का शौक है लेकिन अनुभव नहीं तो आप इनकी मदद ले सकते हैं। इनसे आपको गाइडेंस मिल जाएगी और आपका किचन गार्डन बनकर तैयार हो जाएगा। सेहत की सेहत और आप चाहें तो आमदनी भी।

कई ऐसे लोग भी हैं जो वर्टिकल फार्मिंग या हाइड्रोपोनिक्स के जरिए खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इन लोगों ने खेती को ही अपना व्यापार बना लिया है। शहरों में रहने वाले लोग ताज़े फल और सब्ज़ियां खाना चाहते हैं, ऐसे में ये ऑप्शन आपकी जीविका का अच्छा साधन बन सकते हैं। अब आपको वर्टिकल फार्मिंग और उसके प्रकार के बारे में बता देते हैं।

वर्टिकल फार्मिंग को समझिए

वर्टिंकल फार्मिंग को आसान भाषा में खड़ी खेती से भी समझा जा सकता है। कम जगह से ज़्यादा पैदावार। इसमें कई लेयर्स में फार्मिंग की जाती है। इसे घर की छत या किसी छोटी सी जगह पर किया जा सकता है। ख़ास बात ये है कि इसमें न तो मिट्टी की ज़रूरत होती है और न ही तेज़ धूप की। इसमें रसायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसमें पंप की सहायता से पौधों को पानी दिया जाता है और एलईडी बल्ब की सहायता से प्रकाश। इसके तहत तीन तकनीक आती हैं। हाइड्रोपोनिक, एरोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स।

क्या होती है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग ?

हाइड्रोपोनिक खेती की विदेशी तकनीक है। इसका मतलब है बिना मिट्टी के खेती करना। भारत में बिना मिट्टी की खेती थोड़ा हैरान करती है लेकिन ये अब लोगों का ध्यान खींच रही है। शहर में रहने वाले लोगों के लिए ये टेक्नीक खेती करने के बेस्ट तरीकों में से एक मानी जा रही है। हाइड्रोफार्मिंग छत पर या घर के किसी भी हिस्से में की जा सकती है। इसमें पौधों के लिए ज़रूरी पोषक तत्व पानी के जरिए जड़ों तक पहुंचाए जाते हैं। पानी का उतना ही उपयोग किया जाता है, जितना ज़रूरी हो। इस तकनीकि के जरिए फसलों को 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और करीब 85 फीसदी नमी में उगाया जाता है। इसके लिए आपको गमले, पाइप, बैग, नालीनुमा टंकी की ज़रूरत होती है। इसके साथ ही आपके पास पानी का पीएच नापने के लिए PH मीटर होना चाहिए। हाइड्रोपोनिक फार्मिंग पत्तीदार सब्ज़ियां उगाने के लिए बेस्ट टेक्नीक है। आपको पानी की सप्लाई के सिस्टम का ख़ासा ध्यान रखना होगा। इसमें नेट शेड और पॉली हाउस का इस्तेमाल करना होता है।

एरोपोनिक्स में कम होती है पानी की खपत

एरोपोनिक्स में पौधों को बिना मिट्टी के कम पानी में विकसित करना होता है। पोषक तत्वों से भरे पानी का छिड़काव पौधों पर किया जाता है। पोषक तत्वों की मदद से पौधों के तनों की कोशिकाओं का विकास होता है। ये सिस्टम ऐसी सब्ज़ियों की खेती के लिए परफेक्ट है, जिनकी जड़ें ऑक्सीजन और नमी जैसी स्थिति को एडॉप्ट करती हैं। इन्हें सेट तापमान और नमी में उगाया जाता है। इसमें पानी कम लगता है। इससे पानी की बचत भी होती है। इस तकनीक से अगर आप फसल उगा रहे हैं तो पॉली हाउस में उगाना बेस्ट रहेगा।

एक्वापोनिक्स भी है कमाल की तकनीक

इस टेक्नीक में सब्ज़ियों और मछलियों की इंटीग्रेटेड खेती की जाती है। इसमें खेती के लिए मिट्टी की नहीं बल्कि पानी की सतह होती है। इसमें भी कीटनाशक और खाद की ज़रूरत नहीं होती है। खेती के लिए खाद की व्यवस्था मछलियों के वेस्ट से हो जाती है। इसमें भी पॉली हाउस की आवश्यकता होती है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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