यूँ तो होली की कई पौराणिक और वैज्ञानिक पक्षों की कहानियाँ मौजूद हैं। अपने देश भारत के त्योहारों की यह ख़ूबी है कि हर त्यौहार हमसे बात करता है, हमे कुछ सिखाता है। होली मानो अपने रंगों से बसंत का स्वागत कर रही हो। मौसम के बदलाव की आहट साफ़ सुनाई देती है। बात जब बदलाव की हो तो कितनी ख़ूबसूरती से होलिका दहन में भूतकाल के बोझ को ख़त्म करके, जीवन के विभिन्न रंगों का स्वागत करना कितना सुखद है। जब हम त्योहारों के सार को जान कर उन्हें मनाते है तो उसकी बात ही कुछ और होती है।
सभी भावनाओं का संबंध एक रंग से होता है। लाल प्यार का, हरा उन्नति का, पीला उत्साह का, नीला ऊर्जा का। जीवन रंगों से भरा होना चाहिए, जैसे जीवन हर भावना से भरा है, उन्हें अलग अलग देखने और आनंद उठाना चाहिए। यदि सभी रंगों को एक साथ मिला दिया जाये, वे सभी काले ही दिखेंगे। इसी तरह हर व्यक्ति द्वारा जीवन में निभाई जाने वाली भूमिकाएँ, उसके भीतर शांतिपूर्ण एवं पृथक रूप से अलग-अलग विद्यमान होनी चाहिए।
हम चाहे जिस भूमिका में हो, या जिस परिस्थिति में हो, हमें अपना शत प्रतिशत योगदान देना चाहिए, और तब हमारा जीवन रंगों से भरा रहेगा।
प्राचीन काल में इस संकल्पना को ” वर्णाश्रम” कहा गया है। इसका अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति चाहे वो जिस व्यवसाय में हो, उसे पूरे उत्साह से निभाने की अपेक्षा की जाती है । मन के इन भिन्न पात्रों को अलग रखना ही सुखी जीवन का रहस्य है, यही होली सिखाती है।
जैसे सभी रंगों का उद्गम सफ़ेद रंग से हुआ है। लेकिन जब इन सभी रंगों को मिलाते है तो वह काले बन जाते हैं। जब हमारा मन शांत, शुद्ध और प्रसन्न होता है, तो विभिन्न रंग और भावनाओं का जन्म होता है। हमे वास्तविक रूप से अपनी हर भूमिका निभाने की शक्ति मिलती है। लेकिन अगर इन भावनाओं को हम पृथक न रख पाये तो आपस में उलझ जाती है।
सभी विचार और भावनायें आपके भीतर आत्मा से उत्पन्न होती है। जैसे आप एक ट्रे में अलग-अलग रंगों को करीने से सजाते है तब आप उनके बारे में अच्छे से जानते है समझते हैं और अलग-अलग रख पाते है, ठीक उसी तरह जब अपने आप को भीतर से जानते है तो हर भावना और भूमिका को पृथक कर सही तरह से निभा पाते हैं।
तो इस होली पहले अपने स्वयं के रंगों को पहचान कर शुरुआत करे और भीतर के रंगीन आवरण से बाहरी दुनिया को भी रंगीन और खूबसूरत करने में अपना योगदान दें। जब स्वाभाविक रूप से उत्साह का उदय होता है तो संपूर्ण जीवन रंगमय बन जाता है।