भारत में अब जल्द ही फैक्शनल ट्रेडिंग की शुरूआत होगी। यानी कि अब देश के छोटे इनवेस्टर्स भी महंगे शेयरों में इनवेस्ट कर सकेंगे। इनवेस्टर्स 100 रुपए जैसी छोटी रकम में भी महंगे शेयरों का एक छोटा सा हिस्सा (फ्रैक्शनल शेयर) खरीद पाएंगे। कंपनी लॉ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें देश में फ्रैक्शनल शेयरों की अनुमति देने की सिफारिश की है।
विकसित देशों में पहले से यह सुविधा
अमेरिका, ब्रिटेन और जापान जैसे ज्यादातर विकसित देशों में फ्रैक्शनल शेयरों की ट्रेडिंग चलन में है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कमटी ने रिपोर्ट भेजी है जिसमें कमेटी ने यह कहा है, कि- मौजूदा कंपनी अधिनियम के तहत कंपनियों को फ्रैक्शनल शेयर जारी करने की अनुमति नहीं दी जाती है। अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो रिटेल इनवेस्टर्स को हाई-वैल्यू शेयरों में पैसा लगाने का मौका मिल सकेगा। इससे पूंजी बाजार को बड़े पैमाने पर पैसा आएगा।
अकेले फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में ही 1.42 करोड़ नए रिटेल इनवेस्टर्स ने शेयर बाजार में कदम रखा है। शेयर बाजार में रिटेल इनवेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए फ्रैक्शनल शेयरों की ट्रेडिंग की अनुमति देने की सिफारिश एक अच्छी पहल है। इसका फायदा छोटे इनवेस्टर्स को मिलेगा। ये उन्हें ऐसे शेयरों में पैसा लगाने की सुविधा देगा, जिनमें वे अभी निवेश नहीं कर पाते हैं।
स्टॉक निवेशकों और कंपनियों दोनों को मिलेगा फायदा
भारत में फिलहाल शेयर में निवेश की न्यूनतम यूनिट एक शेयर है। मतलब कि किसी कंपनी का कम से कम एक शेयर खरीदना जरूरी होता है। फ्रैक्शनल शेयर किसी शेयर का एक छोटा सा अंश होता है। आप जितने रुपए उस शेयर में लगाते हैं, उतना हिस्सा आपको मिलता है।
ट्रस्टी के जरिए इन शेयर को बेचा भी जा सकता है। शेयर बेचने पर अपने हिस्से के बराबर की राशि शेयरधारकों को मिल जाती है। ऐसे शेयरधारकों को कंपनी की ओर से जारी लाभांश भी उनके हिस्से के अनुपात में मिल जाता है।
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