CHAMOMILE CULTIVATION: उन्नत होंगे छत्तीसगढ़ के किसान, कैमोमाइल की खेती से दुनिया भर में छत्तीसगढ़ का उत्पाद बेचेगा जशपुर!

कृषि के लिए उपयुक्त भौगोलिक स्थिति, सिंचाई की बेहतर व्यवस्था और जशपुर की अनुकूल जलवायु कैमोमाइल (Chamomile) की खेती को बढ़ावा देगा। इससे जिले में रोजगार तो उत्पन्न होंगे ही साथ ही छत्तीसगढ़ के किसानों की ग्लोबली पहचान भी स्थापित होगी। दरअसल इससे पहले चाय, कॉफी, स्ट्राबेरी, काजू और नाशपाती की खेती के बाद अब जर्मनी की कैमोमाइल की खेती का प्रयोग भी जशपुर जिले में शुरू हो चुका है।

क्या है कैमोमाइल (Chamomile) ?

जर्मनी कैमोमाइल लोकप्रिय और व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण गुणवत्ता वाला तेलीय पौधा है। इसका उपयोग हर्बल चाय और फार्मा प्रोडक्ट्स में होता है। जैसे कि इत्र, पेय और बेकरी उत्पादों में स्वाद बढ़ाने वाले एसेन्स और शामक के रूप में।
यूनानी चिकित्सा पद्वति में भी कैमोमाइल (Chamomile) लोकप्रिय है। जिले के वन विभाग के अंतर्गत वनमण्डलाधिकारी के अनुसार जशपुर में कैमोमाइल की खेती का जय जंगल किसान उत्पादक कम्पनी का प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है। वृहद्ध स्तर पर खेती कर रहे जिले के छोटे किसानों को भी इससे लाभ मिलेगा। साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

कैमोमाइल (Chamomile) में हैं औषधीय गुण

कैमोमाइल का फूल जहां सुंदरता, सादगी और शांति का प्रतीक माना जाता है, वहीं निकोटिन रहित होने की वजह से यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है। पेट के रोगों के लिए यह रामबाण दवाई है, वहीं त्वचा रोगों में भी कैमोमाइल काफी लाभदायक है। यह जलन, अनिद्रा, घबराहट और चिड़चिड़ापन में बेहद फायदेमंद है। इसके फूल का उपयोग मोच, घाव, चोट, रैसेज और पेट की बीमारियों को दूर करने में किया जाता है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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