काशी बनारस शहर का पुराना नाम है, जिसे अब वाराणसी कहा जाता है। वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक शहर है यह दुनिया के सबसे पुराने बसे हुए शहरों में से एक है। वाराणसी की संस्कृति गंगा नदी और नदी के धार्मिक महत्व से निकटता से जुड़ी हुई है।
काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट् स्थारन है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नाहन कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आईए एक नज़र डालते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास पर
11वी सदी में निर्माण: ये मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर है। कहा जाता है कि इस मंदिर का दोबारा निर्माण 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने करवाया था। साल 1194 में मुहम्मद गौरी ने इसे तुड़वा दिया था। मंदिर को एक बार फिर से बनाया गया लेकिन साल 1447 में इसे फिर से जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया। इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि काशी मंदिर के निर्माण और तोड़ने की घटनाएं 11वीं सदी से लेकर 15वीं सदी तक चलती रही।
शाहजंहा ने तुड़वाने के लिए सेना भेजी: साल 1585 में राजा टोडरमल की मदद से पंडित नारायण भट्ट ने इसे बनाया था लेकिन साल 1632 में शाहजंहा ने इसे तुड़वाने के लिए सेना की एक टुकड़ी भेज दी। हिंदूओं के विरोध के कारण सेना अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाई। कहा जाता है कि 18 अप्रैल 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कराने के आदेश दिए थे।
मंदिर के पास मस्जिद भी: मंदिर के साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद है। कहा जाता है कि मस्जिद मंदिर की ही मूल जगह पर बनाई गई है। ज्ञानवापी मस्जिद को मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर बनवाया था। इसके अलावा यहां आलमगिरी मस्जिद है, इसे भी औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर बनवाया था।
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