शेरिंग अंग्मो शुनु: कारगिल योद्धा, जिनके साहस से युद्ध के दौरान भी चालू रहा ALL INDIA RADIO

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कारगिल युद्ध के बारे में तो सभी लोग जानते हैं, पर शेरिंग अंग्मो शुनु के बारे में शायद ही कोई जानता होगा। कारगिल के जवानों जितनी ही बहादुर हैं शेरिंग अंग्मो शुनु, जिन्होंने करगिल युद्ध के दौरान भारी गोलीबारी के बीच रेडियो के प्रसारण को जारी रखा था। इस युद्ध में सेना के साथ ऑल इंडिया रेडियो ने बहुत महत्त्वपूर्ण किरदार निभाया था। कारगिल युद्ध के दौरान ऑल इंडिया रेडियो (AIR Leh) ने पाकिस्तान रेडियो द्वारा प्रसारित किसी भी गलत प्रचार या आधारहीन अफवाहों के प्रसार को रोकने में मदद की थी। एआईआर लेह की कार्यक्रम अधिकारी, शेरिंग अंग्मो शनु ने भी इस युद्ध में अविश्वसनीय योगदान दिया है। जहां लोग अपनी जान बचाकर भाग रहे थे, अंग्मो अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए डटी रहीं। वह पहली और अकेली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान भारी गोलाबारी के बीच कारगिल का नियमित प्रसारण किया।
 
कौन हैं शेरिंग अंग्मो शुनु ?
अंग्मो का जन्म लेह जिले के एक बड़े परिवार में हुआ था। उनका परिवार खेती किया करता था। वहीं उनके पिता नायब तहसीलदार थे। अंग्मो ने लेह में मिडिल स्कूल तक पढ़ाई की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए कश्मीर चली गई। एमए के प्रथम वर्ष को पूरा करने के बाद अंग्मो की शादी हो गई जिसके बाद उन्हे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वह 1975 में एक प्रोग्राम ऑफिसर के रूप में आकाशवाणी लेह मे शामिल हुईं।
 
कारगिल युद्ध में गोलाबारी के बाद भी प्रसारण रखा जारी
अंग्मो ने एक इंटरव्यू में बताया कि- जैसे ही गोलाबारी शुरू होती थी, वे ज़ांस्कर से 15 किमी दूर मिंगी नामक एक छोटे से गाँव की तरफ़ चले जाते थे क्योंकि वह दुश्मन की गोलाबारी की सीमा से बाहर था। AIR कारगिल के कर्मचारियों ने वहां एक कमरा किराए पर लिया हुआ था। गोलाबारी बंद होते ही एआईआर की टीम अपना प्रसारण जारी रखने के लिए वापस एआईआर स्टेशन जाते थे। और प्रसारण को जारी रखा।
 
सेना की मदद के लिए अपने बेटे को भेजा
 कारिगल युध्द में जब भारतीय सेना दुश्मनों से लड़ रही थी, तब शेरिंग अंग्मो दुश्मन के गलत प्रचार का मुकाबला कर रही थी। भारी गोलाबारी होने पर भी उन्होने प्रसारण जारी रखा। इस दौरान उन्होंने प्रोत्साहन के संदेश भेजकर सेना का मनोबल भी बढ़ाया। यही नहीं जब भारतीय सेना को अपने सैनिकों की सहायता के लिए लोगों की ज़रूरत थी, तो उन्होने लगातार संदेश साझा किया और अपने 18 वर्षीय बेटे को सेना की मदद के लिए भेजा दिया। अंग्मो अपने या अपने परिवार का सोचने से पहले उस समय सिर्फ देश का सोच रही थी। जहां सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए ऑफिस छोड़ कर भाग रहे थे वहां अंग्मो के निरंतर प्रयास ने सेना के साथ-साथ भारतीय जनता का भी मनोबल बढ़ाया।
 
Kargil: Untold Stories from the War में भी है शेरिंग अंग्मो शुनु की कहानी 
लेखक और पत्रकार रचना बिष्ट रावत ने कारगिल विजय  दिवस के बीस साल पूरे होने पर ‘कारगिल-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ द वॉर’ नामक किताब को लॉन्च किया। इस किताब में उन्होंने बहादुर भारतीय सेना की कहानी को लिखा है। इसी किताब में रचना बिष्ट ने अंग्मो के साहस को भी अपने शब्दों में दर्शाया है।
 
भारत ने 26 जुलाई को कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल कर ली थी। इस जीत में भारत के बहादुर सैनिकों और अंगमो जैसे योद्धाओं का बहुत बड़ा हाथ था, जिन्होंने अपने कर्तव्य को अपने जीवन से ऊपर रखा। उनके इस जज़्बे को हम सलाम करते हैं।
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Dr. Kirti Sisodhia

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