गुजरात की साहसी रानी जिसने मोहम्मद गोरी को किया पराजय, इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर लिखा है नाम!

ये कहानी है एक ऐसी शासिका की जिन्होंने इतिहास में दर्ज सबसे खूंखार मुस्लिम शासक मोहम्मद गोरी को परास्त कर दिया यही, नहीं उन्होंने युद्ध रणनीति की ऐसी मिसाल पेश की जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। 
ये शासिका कोई और नहीं गुजरात के अन्हिलवाड़ के चालुक्य शासक अजय पाल की विधवा पत्नी नायकी देवी थीं। जिन्होंने पति मृत्यु के बाद राज्य की बागडोर अपने हाथों में ली। 1178 ईस्वी की बात है, इस समय राजा अजय पाल की मृत्यु का फायदा उठाकर मोहम्मद गोरी ने अन्हिलवाड़ पर आक्रमण कर दिया। रानी नायकी देवी के पुत्र मूलराज अभी छोटे ही थे, ऐसे में नायकी देवी ने युद्ध का नेतृत्व किया। युद्ध विद्या में निपुण रानी के पास छोटी सी सेना की टुकड़ी थी, हथियारों की तुलना में भी मोहम्मद गोरी की सेना रानी नायकी देवी से ज्यादा सक्षम थी। नायकी देवी ने सोचा कि शक्ति प्रदर्शन के अलावा सूझबूझ से युद्ध को जीतना होगा तभी वे अपने मातृभूमि की रक्षा कर पाएंगी। उन्होंने माउंट आबू की तलहटी पर स्थित एक उबड़-खाबड़ क्षेत्र गदरघट्टा को जंग के मैदान के रूप में चुना। वो जानती थीं कि भौगोलिक क्षेत्रों के ज्ञान का उपयोग युद्ध में किया जाए तो युद्ध जीता जा सकता है। 
 
युद्ध की इस नीति को गोरिल्ला युद्ध कहते हैं। रानी की सूझबूझ और पराक्रम की वजह से मोहम्मद गोरी ज्यादा देर नायकी देवी की सेना के आगे टिक नहीं सका। युद्ध के दौरान जब गोरी को लगा कि उसे जान का खतरा है तो वह बीच में ही युद्ध छोड़कर भाग खड़ा हुआ और रानी नायकी देवी युद्ध जीत गईं। कई इतिहासकार ये मानते हैं कि रानी नायकी देवी के इस युद्ध ने मोहम्मद गोरी को गुजरात में प्रवेश करने से रोक दिया। रानी नायकी देवी ने अपनी सूझबूझ और शौर्य के दम पर अपने राज्य की रक्षा की। आज भी अन्हिलवाड़ के कुछ क्षेत्रों में लोकगीतों को माध्यम से उनके शौर्यगीत गाए जाते हैं। रानी नायकी देवी इस बात की मिसाल हैं कि भले ही स्थिति कितनी भी विपरित क्यों न हो सही कूटनिति, सब्र और साहस से उससे पार पाया जा सकता है। वे सदैव एक प्रेरणा बनकर लोगों के दिलों में राज करेंगी।
 
 
Avatar photo

Rishita Diwan

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *