Shubhanshu Shukla: 41 साल का लंबा इंतज़ार… और फिर एक ऐतिहासिक उड़ान। भारत ने फिर अंतरिक्ष में अपने नाम की गूंज सुनी और इस बार वो गूंज लाई है एयरफोर्स ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला। Axiom-4 मिशन के ज़रिए उन्होंने न सिर्फ अंतरिक्ष की यात्रा की, बल्कि वो पहले भारतीय बने जिन्होंने commercial mission से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक उड़ान भरी। उनके इस साहसिक कदम ने भारत को एक नए अंतरिक्ष युग में प्रवेश दिलाया है।
शुभांशु की प्रेरणादायक यात्रा
10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु एक साधारण परिवार से आते हैं। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं और मां आशा शुक्ला गृहिणी। बचपन में एक एयर शो के दौरान उन्हें पहली बार उड़ान से प्यार हुआ और वहीं से उनके “स्पेस मिशन” का सपना शुरू हुआ।
- NDA से ग्रेजुएट, 2006 में वायुसेना में शामिल
- 2000+ घंटे फ्लाइंग का अनुभव, सुखोई, मिग, जगुआर, डोर्नियर
- M.Tech इन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, IISc बेंगलुरु से
- गगनयान मिशन के लिए 2019 में चुने गए
एक उड़ान, कई उम्मीदें
25 जून 2025 को शुभांशु SpaceX के Falcon-9 रॉकेट के ज़रिए ISS की ओर रवाना हुए। उनके साथ इस मिशन में थे,
- अमेरिका की पेगी व्हिटसन
- हंगरी के टिबोर कपू
- पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की
शुभांशु ISS पर 14 दिन रहेंगे और 60 वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लेंगे, जिनमें से 7 भारत-केंद्रित हैं।
इनमें शामिल हैं,
- माइक्रोग्रैविटी का शरीर पर असर
- स्पेस फार्मिंग
- बायोमेडिकल रिसर्च
परिवार की भावनाएं, देश का गर्व
Axiom-4 लॉन्च के दिन शुभांशु के माता-पिता अपने बेटे के स्कूल पहुँचे और जैसे ही सफल डॉकिंग की खबर आई, मां की आंखें खुशी से भर आईं।
शुभांशु की यह यात्रा केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, यह भारतीय आत्मविश्वास, टेक्नोलॉजी और नई पीढ़ी के सपनों की जीत है।
गगनयान और भारत का स्पेस फ्यूचर
Axiom-4 मिशन गगनयान मिशन के लिए ट्रायल रन जैसा है। ISRO अब लॉन्ग टर्म ह्यूमन स्पेस मिशन, स्पेस स्टेशन और डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन की ओर बढ़ रहा है और शुभांशु जैसे अंतरिक्ष यात्री इस बदलाव की नींव हैं।
शुभांशु का संदेश देश के नाम
“हम सिर्फ अंतरिक्ष में नहीं जा रहे… हम एक पूरी पीढ़ी की जिज्ञासा और आत्मविश्वास को साथ लेकर जा रहे हैं।” यह शब्द सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री के नहीं, एक उम्मीद और नई दिशा के हैं।
अब अंतरिक्ष में भी लहरा रहा है तिरंगा
राकेश शर्मा के “सारे जहाँ से अच्छा” के बाद अब शुभांशु का यह मिशन नए भारत की आवाज़ बन चुका है। Axiom-4 ने भारत को उस ऊंचाई पर पहुंचा दिया है जहां से दुनिया अब हमें spacefaring nation के रूप में देख रही है।