Kuleshwar Mahadev: भगवान राम जब माता-सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए निकले तो कुछ समय उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी बिताया। छत्तीसगढ़ में आपको कई रामायणकालीन स्थल मिल जाएंगे। जो लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं। ऐसी ही जगहों में से एक है भगवान कुलेश्वर महादेव का शिव मंदिर। जिसे माता सीता ने रेत से बनाया था। जानते हैं क्या है इस मंदिर का इतिहास इसके साथ ही लोमस ऋषि से जुड़े कुछ रहस्य भी आपको बताएंगे।
त्रिवेणी संगम पर है कुलेश्वर महादेव मंदिर
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये वही जगह है जहां पर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान शिवजी की आराधना की थी।तीन नदियों के संगम पर बसे होने की वजह से यहां मिट्टी की बजाय माता सीता ने शिव की पूजा की लिए रेत से शिवलिंग बनाया था। जनश्रुति के अनुसार भगवान शिव ने माता सीता की भक्ति से खुश होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था और यहीं पर कुलेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हो गए।
क्या है गुप्त गुफा का रहस्य?
राजिम भगवान विष्णु का भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। यहां भगवान विष्णु राजीव लोचन के नाम से बसे हैं। ऐसी मान्यता है कि नदियों के संगम पर मौजूद इस मंदिर के अंदर एक गुप्त गुफा भी है जो लोमष ऋषि के आश्रम से सोमेश्वर नाथ महादेव होते हुए राजीव लोचन मंदिर तक जाता है। कुलेश्वर महादेव मंदिर (Kuleshwar Mahadev) से होते हुए इस गुफा के रास्ते का इस्तेमाल वर्षा काल मे लोमष ऋषि भगवान शिव और भगवान राजीव लोचन के दर्शन के लिए करते थे।
मंदिर से जुड़े हैं कई रहस्य
इस मंदिर से जुड़ा एक रहस्य ये भी है कि जैसे ही कुलेश्वर मंदिर बाढ़ के पानी में डूबने लगता है वैसे ही पंचेश्वर महादेव मंदिर से मामा बचाओ की आवाजें सुनाई देने लगती है। जिसकी वजह से पंचेश्वर मंदिर को ही मामा मंदिर भी कहते हैं। नदी किनारे बने इस मामा मंदिर के शिवलिंग को जैसे ही नदी का जल छूता है उसके बाद बाढ़ का पानी उतरना शुरू हो जाता है।
8वीं सदी में बना कुलेश्वर महादेव मंदिर
महानदी, पैरी और सोंढूंर नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर में जब आप पहुंचेंगे, तो आपको इसके ऐतिहासिक महत्व का भान अपने-आप ही हो जाएगा। 8वीं सदी का ये मंदिर देखने में बेहद मनमोहक है। इसकी दीवारें तराशे हुए पत्थरों से बनी हैं और इसकी नींव इतनी मजबूत है कि सदियों से आए तूफानों और बाढ़ों को झेलते हुए भी यह आज ये अडिग खड़ा है।
अद्भुत है स्थापत्य कला
कुलेश्वर महादेव मंदिर ((Kuleshwar Mahadev)) स्थापत्य का बेजोड़ नमूना होने के साथ-साथ प्राचीन भवन निर्माण तकनीक का जीवंत उदाहरण भी है। मंदिर के चारों ओर एक विशाल चबूतरा है और चबूतरे पर एक विशाल पीपल का पेड़ भी है। यह पेड़ मंदिर को और भी पवित्र बनाता है।
कुलेश्वर महादेव मंदिर में महादेव के अलावा शीतला माता, मां काली, काल भैरव के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति मौजूद जो यहां पर धार्मिक आस्था का केंद्र है।
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कैसे पहुंच सकते हैं मंदिर?
कुलेश्वर महादेव मंदिर (Kuleshwar Mahadev) छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित है राजिम, ये राजधानी रायपुर से सिर्फ 45 किलोमीटर की दूरी पर है। राजिम तक रोजाना पब्लिक बसें चलती हैं। वहीं यहां तक पहुंचने के लिए आप प्राइवेट टैक्सी भी कर सकते हैं। मंदिर से जुड़ी पूरी कहानी जानने के लिए यूट्यूब पर विडियो जरूर देखें।
नोट- ये लेख विभिन्न किताबों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं। किसी भी तरह के भ्रम को विस्तारित करने में हम विश्वास नहीं रखते हैं।