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इतिहास में रज़िया सुल्तान का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। परुषों के वर्चस्व वाले सल्तनत काल में अपनी शक्ति और बुद्धि का लोहा मनवाने वाली रज़िया सुल्तान की कहानी काफी दिलचस्प है। दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली पहली महिला का खिताब इतिहास में उनके नाम पर ही दर्ज है।
कौन थी रज़िया सुल्तान
रज़िया गुलाम वंश के शासक शम्स-उद-दिन इल्तुतमिश की बेटी थीं। रज़िया ने 1236 ई. से 1240 तक दिल्ली में शासन किया। शासन के कार्यों में रज़िया की दिलचस्पी बचपन से ही थी। उन्हें तलवारबाजी का शौक भी बचपन से था।
रज़िया सुल्तान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
वैसे तो इतिहास में अलग-अलग लेखकों ने कई किस्से लिखे हैं लेकिन सबसे रोचक तथ्य है कि रज़िया सुल्तान बेहद खूबसूरत थीं। लेकिन बावजूद उन्होंने अपने गहने त्याग दिए। कहते हैं कि रज़िया कभी भी महिलाओं वाले कपड़े पहनकर दरबार में नहीं जाती थीं। उन्होने पुरूषों के पहनने वाले चोगा को अपना लिया। पुरूषों के लिबास की वजह से भी रज़िया को कई सुल्तान पसंद नहीं करते थे। उन्हें लगता था कि ऐसा कर रज़िया पुरुष सुल्तान का अपमान कर रहीं हैं। रज़िया खुद को सुल्ताना नहीं बल्कि सुल्तान कहलवाना पसंद करती थी। उन्होंने पर्दा प्रथा का त्याग किया। उनके ऐसे कई कार्य थे जिसकी वजह से वह विवादों में रही और यही उनके हत्या का कारण भी बना।
इतिहासकारों का मानना है कि रज़िया और याकुत प्रेमी थे । लेकिन कुछ और स्त्रोतों की मानें तो याकुत रज़िया के विश्वासपात्र थे। याकुत का रज़िया का विश्वासपात्र होने की बात तुर्क वर्ग को पसंद नहीं थी क्योंकि याकुत तुर्क नहीं थे और इन सब बातों की वजह से
विद्रोह शुरू हुआ। जिसका परिणाम ये हुआ कि रज़िया और अल्तुनिया के बीच युद्ध हुआ जिसमें याकुत मारा गया। और इसके बाद रज़िया की भी हत्या कर दी गई ।
रज़िया सुल्तान अपनी राजनीतिक समझदारी और नीतियों से सेना तथा जनसाधारण का ध्यान रखती थी। ये उनकी राजनीतिक समझ और नेतृत्व क्षमता ही थी कि वह दिल्ली की सबसे शक्तिशाली शासक बन गयीं थीं।