Chhattisgarh: 1 नवंबर 2000 को भारत के नक्शे पर एक नये राज्य के रूप में उभरा—छत्तीसगढ़। ये मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बना। राज्य के गठन ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, आर्थिक संपन्नता और प्राकृतिक सौंदर्य को दुनिया के सामने लाने का अवसर दिया। आज 24 साल बाद, छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के इस सुनहरे सफर को गर्व से मना रहा है।
नाम में छिपा है सबकुछ
छत्तीसगढ़ का इतिहास और विरासत इसके नाम में छिपी है दरअसल छत्तीसगढ़ का नाम सुनते ही इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का आभास होता है। ‘छत्तीसगढ़’ शब्द का उपयोग 18वीं सदी के मराठा शासनकाल में शुरू हुआ। इस नाम के पीछे ’36 गढ़ों’ की एक कहानी छिपी है, जो इस क्षेत्र की प्राचीन राजनीतिक संरचना का प्रतीक है। इससे पहले, यह क्षेत्र ‘दक्षिण कोसल’ के नाम से जाना जाता था, जिसका उल्लेख पौराणिक ग्रंथों और ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है।
प्राचीन छत्तीसगढ़
प्राचीनकाल में छत्तीसगढ़ के दक्षिण कोसल पर मौर्य, सातवाहन, वकाटक, गुप्त और शरभपुरी जैसे कई साम्राज्यों का शासन रहा। बस्तर और कांकेर के नाग और सोमवंशी राजवंश भी यहां की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते रहे हैं। सिरपुर, जो कभी दक्षिण कोसल की राजधानी थी, आज भी पुरातात्विक धरोहर के रूप में अपनी ऐतिहासिक पहचान बनाए हुए है।
मध्यप्रदेश से अलग होकर बना नया राज्य
राज्य गठन के ऐतिहासिक क्षण की बात करें तो 1 नवंबर 2000 का दिन छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए एक नई सुबह लेकर आया। मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को अलग कर छत्तीसगढ़ का निर्माण किया गया। राज्य के गठन के समय 16 जिलों से शुरू हुआ यह सफर आज 33 जिलों तक पहुँच चुका है। रायपुर को राजधानी बनाया गया और बिलासपुर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। छत्तीसगढ़ ने बीते 24 सालों में न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी काफी विकास किया है।
कैसी रही 24 साल की यात्रा?
छत्तीसगढ़ की 24 साल की इस यात्रा में शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय विकास हुआ है। जहां एक ओर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थापना ने स्कूल शिक्षा को नई उड़ान दी वहीं नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छत्तीसगढ़ के बच्चे भी शिक्षा की नई तकनीकों से जुड़ रहे हैं। ऐसे पहलों से छत्तीसगढ़ के बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ले रहे हैं। 2000 में जब राज्य का गठन हुआ था, तब यहां केवल 18,196 स्कूल थे, जो अब बढ़कर 60 हजार के आस-पास हैं। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का प्रसार भी हुआ है, जिससे बच्चों की ड्रॉपआउट दर में कमी आई है।
महतारी का दर्जा
छत्तीसगढ़ को महतारी यानी कि मां का दर्जा दिया गया है, जो राज्य के लोगों की इस धरती से असीम श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। यहां की मिट्टी, यहां की संस्कृति और यहां के लोग इस राज्य को अपनी मां के रूप में देखते हैं। इस भावनात्मक जुड़ाव ने छत्तीसगढ़ को और भी विशेष बना दिया है। यहां के लोग अपने राज्य की प्रगति में न केवल भागीदार बन रहे हैं, बल्कि उसे सहेजने और संवारने का भी काम कर रहे हैं।
Positive सार
छत्तीसगढ़ का 24 साल का सफर उपलब्धियों से भरा रहा है। राज्य की सांस्कृतिक विविधता, खनिज संपदा, प्राकृतिक सुंदरता और लोगों की मेहनत ने इसे भारत के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ और भी ऊंचाइयों को छुएगा, और इसका हर निवासी इस यात्रा का गर्वित हिस्सेदार बनेगा। जैसे छत्तीसगढ़ की नदियां अपने प्रवाह से जीवन को संवारती हैं, वैसे ही यह राज्य भी निरंतर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ता रहेगा। ऐसे में क्या आप भी छत्तीसगढ़वासी होने पर गौरान्वित महसूस करते हैं अगर हां तो इस विडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए। आप सभी को छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस की शुभकामनाएं।