Bhuteswar Mahadev: लगातार क्यों बढ़ रहा है इस शिवलिंग का आकार?

Bhuteswar Mahadev: गरियाबंद जिला अपने धार्मिक महत्व और पौराणिक चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ में इस जिले को तीर्थ नगरी के रूप में देखा जाता है। जहां भगवान विष्णु के अवतार राजीव लोचन और कुलेश्वर महादेव विराजे हैं। अरपा-पैरी और सोंढुर नदियों का पवित्र जल इस क्षेत्र को सींचता है। और यहीं से 3 किलोमीटर की दूरी पर मरौदा में बसे हैं भगवान शिव, जिन्हें कहा जाता है भूतेश्वर महादेव।

शिव के चमत्कार

जहां स्यंवभू भगवान शिव विराजे हों वहां भक्तों को चमत्कार का अहसास न हो ऐसा हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। फिर चाहे वो उज्जैन के स्वयंभू महाकाल हो या फिर गुजरात के नागेश्वर नाथ हो। ऐसे ही शिव शक्ति की कहानी आपको सुनने और देखने को मिलेगी छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में, जहां भगवान शिव भूतेश्वर महादेव के रूप में विराजे हैं।

मरौदा में होंगे शिव के दर्शन

गरियाबंद से 3 किलोमीटर की दूरी पर मरौदा में जब आप पहुंचेंगे तो आपको अपने आप ही यहां की दैवीय शक्तियों का अहसास होने लगेगा। सुरम्य और घने जंगलों के बीच स्थापित एक विशाल शिवलिंग आपको कभी किसी चमत्कार से जोड़ेगी तो कभी किसी रहस्य की तरफ इशारा करेगी।

लगातार बढ़ रहा है शिवलिंग का आकार   

शिवलिंग (Bhuteswar Mahadev) के आकार से जुड़ी कई बातें आप सुनते होंगे जिनमें शिवलिंग के आकार के घटने की बात कही जाती है। लेकिन भूतेश्वर महादेव इकलौता ऐसा शिवलिंग है जिसका आकार लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में इसकी ऊंचाई 18 फीट और गोलाई 21 फीट है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि यह आकार हर साल लगभग 6 से 8 इंच बढ़ता जा रहा है। ऐसा प्राकृतिक रूप से होना इसे विश्व का सबसे विशाल और अद्वितीय शिवलिंग बनाता है।

क्या है नंदी का रहस्य?

भूतेश्वर महादेव (Bhuteswar Mahadev) ये शिवलिंग यहां कैसे आया इस पर कई स्थानीय और पौराणिक मान्यताएं है। ऐसा कहा जाता है कि आज से लगभग 30 साल पहले स्थानीय लोगों को जंगल से नंदी की आवाजें आती थी। लेकिन जंगल घना था इसलिए लोग यहां तक जाने की हिम्मत नहीं करते थे। एक समय ऐसा आया की नंदी के हुंकारने की आवाजें बढ़ने लगी। तब गांव वालों ने हिम्मत जुटाकर उस नंदी को खोजने के लिए जंगल में जाने की सोची।

कई दिनों तक लोग उस नंदी को खोजते रहे। लेकिन कोई जानवर लोगों को नहीं मिला। लेकिन वहां उन्हें एक ऊंचा टीला दिखाई दिया। ये टिला सामान्य टिले की तरह नहीं था। ये हूबहू शिवलिंग की तरह था। जिसे किसी ने करीने से शिवलिंग का आकार दिया हो। इस घटना को लोगों ने चमत्कार की तरह देखा और यहां श्रद्धा के रूप में बस गए भगवान शिव।

प्राकृतिक शिवलिंग के होते हैं दर्शन

भूतेश्वर महादेव (Bhuteswar Mahadev) एक प्राकृतिक शिवलिंग है। इस शिवलिंग पर कई शोध हो चुके हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये शिवलिंग अद्वितीय अर्धनारीश्वर के रूप में प्रतिष्ठित है। इस शिवलिंग की मान्यता द्वादश ज्योतिर्लिंगों की तरह ही है जो इसे और भी विशेष बनाती है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शिवलिंग की अद्भुत विशालता, भक्तों को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। 1959 में प्रकाशित ‘कल्याण’ पुस्तिका में भी भूतेश्वर महादेव का उल्लेख मिलता है, जो इस स्थल की पुरातनता और महिमा को दर्शाता है।

हर साल लगता है मेला

यहां हर साल सावन के महीने में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जहां दूर-दूर से महादेव के भक्त उनकी आराधना करने पहुंचते हैं। इस शिवलिंग की मान्यता इतनी अधिक है कि न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों से भी यहां श्रद्धालु आते हैं। महाशिवरात्रि और सावन सोमवार को यहां भक्तों की विशेष भीड़ देखने को मिलती है। कांवरिये लंबी पैदल यात्रा करके यहां जल चढ़ाने आते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।

कैसे पहुंचे?

तो अगर आप भी भूतेश्वर महादेव (Bhuteswar Mahadev) के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको राजधानी रायपुर से गरियाबंद के लिए बस मिल जाएगी। गरियाबंद से आपको लोकल टैक्सी या प्राइवेट गाड़ी कर ग्राम मरौदा पहुंचना होगा। वहीं अगर आप छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रहते हैं तो यहां के लिए नजदीकी हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद नया रायपुर में और नजदीकी रेलवे स्टेशन रायपुर है।

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Positive सार

जिस तरह शिव के अनेकों नाम हैं उसी तरह शिव के कई धाम भी हैं जिनमें से एक है भूतेश्वर महादेव (Bhuteswar Mahadev)। छत्तीसगढ़ की माटी में रची-बसी संस्कृति की झलक और श्रद्धा का अनुपम रूप आपको भूतेश्वर महादेव मंदिर में दिखाई देगी।

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Rishita Diwan

Content Writer

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