छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में स्थित गंगरेल डैम (Gangrel Dam) सिर्फ़ एक जलाशय नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और आधुनिक तकनीक का अद्भुत संगम है। महानदी पर बना यह बांध राज्य का सबसे बड़ा और सबसे लंबा डैम है, जिसकी लंबाई लगभग 1830 मीटर है। यह न केवल सिंचाई, बिजली और पेयजल का स्रोत है, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत का भी केंद्र बन चुका है।
आइए जानते हैं इस “रविशंकर सागर बांध” की कहानी, जिसने 52 गांवों को अपने जल में समा लिया, और फिर भी नई आशाओं का सागर बन गया।
क्या है इतिहास?
गंगरेल बांध की नींव 5 मई 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी। करीब छह साल के निर्माण कार्य के बाद, यह 1978 में तैयार हुआ। लेकिन इसके पीछे एक कठिन बलिदान की कहानी छिपी है। दरअसल इस परियोजना के लिए 52 गांवों को उजाड़ा गया और 16,704 एकड़ भूमि जल में समा गई। लोगों को पुनर्वासित किया गया, लेकिन यह विस्थापन आज भी छत्तीसगढ़ की स्मृतियों का हिस्सा है।
14 ऑटोमैटिक गेट्स वाला डैम
गंगरेल डैम अपनी आधुनिकता के लिए भी जाना जाता है। इसमें 14 ऑटोमैटिक स्पिलवे गेट्स लगे हैं जो पानी के स्तर के अनुसार अपने आप खुलते और बंद होते हैं। यह प्रणाली जल संतुलन बनाए रखती है और बाढ़ की स्थिति में सेफ्टी वाल्व का काम करती है। मानसून के समय जब ये गेट खुलते हैं, तो गिरते जल का दृश्य इतना भव्य होता है कि देखने वाले मंत्रमुग्ध रह जाते हैं। इसकी जल संग्रहण क्षमता 32.150 टीएमसी है, जो 7 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई में काम आती है, धमतरी, रायपुर, बालोद, बलौदाबाजार और भिलाई स्टील प्लांट तक यही जल पहुँचाता है।
10 मेगावाट हाइड्रो पावर प्लांट
- गंगरेल डैम में 10 मेगावाट की हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर यूनिट भी स्थापित है।
- यह धमतरी और रायपुर क्षेत्र की बिजली ज़रूरतों को पूरा करता है और छत्तीसगढ़ की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- पानी, बिजली और सिंचाई ये तीनों पहलू इसे वास्तव में राज्य की जीवनरेखा बनाते हैं।
‘मिनी गोवा’ की खूबसूरती
गंगरेल डैम सिर्फ़ इंजीनियरिंग का अजूबा नहीं, बल्कि एक खूबसूरत पर्यटन स्थल (Tourist Destination) भी है। इसके किनारे बना आर्टिफिशियल बीच इतना सुंदर है कि इसे लोग प्यार से “मिनी गोवा (Mini Goa of Chhattisgarh)” कहते हैं। यहाँ पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं,
- बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स
- सुंदर हट्स और रेस्ट हाउस
- हरियाली से घिरे पिकनिक स्पॉट
- जंगल ट्रेकिंग और सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य
- हर साल हजारों लोग यहाँ आकर प्रकृति और शांति का आनंद लेते हैं।
अंगारमोती माता मंदिर
गंगरेल डैम का एक और गहरा अध्याय है अंगारमोती माता मंदिर। बांध बनने से पहले, माता का मूल मंदिर चंवर गांव में था, जो अब जलाशय के भीतर है। बांध निर्माण के बाद, माता की मूर्ति को पुनः प्रतिष्ठित कर बांध के किनारे स्थापित किया गया। यह मंदिर आज भी 52 गांवों के विस्थापित लोगों के आस्था और एकता का प्रतीक है। हर साल नवरात्रि में विशाल मेला लगता है, जहाँ हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं।
जल, जीवन और जन की कहानी
गंगरेल डैम सिर्फ़ एक संरचना नहीं बल्कि यह छत्तीसगढ़ की आत्मा है, जिसमें विस्थापन की वेदना, आस्था का पुनर्जन्म, और प्रकृति का सौंदर्य तीनों साथ प्रवाहित हैं।
यह डैम हमें सिखाता है कि विकास और संस्कृति, तकनीक और परंपरा साथ-साथ चल सकते हैं। आज गंगरेल न केवल खेतों को जल देता है, बल्कि दिलों को भी गर्व से भर देता है। धमतरी का यह डैम सिर्फ़ राज्य का सबसे बड़ा जलाशय नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान है। यह इंजीनियरिंग, आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम है। जहाँ एक ओर पानी जीवन देता है, वहीं दूसरी ओर यह संस्कृति को भी जीवित रखता है।