Water Conservation:ये छोटे कदम भविष्य के लिए बचाएंगे पानी

Water Conservation: इंसान हो पक्षी या पेड़-पौधे धरती पर जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन और पानी दोनों पर निर्भर हैं। पानी के बिना छोटे-बड़े सभी काम रुक जाते हैं। घर से लेकर बड़े उद्योग तक, पानी के बिना एक दिन भी नहीं चल सकते। पृथ्वी का 71% हिस्सा पानी से ढका है, लेकिन इसमें से केवल 3% ही पीने लायक है। हमें पीने का पानी नदी, तालाब, कुएं, झरने और भूमिगत जल से मिलता है। हमारी जरूरतों का अधिकांश पानी ग्राउंड वॉटर से ही पूरा होता है। इसलिए

हालांकि, यह जानते हुए भी हम पानी के स्रोतों की रक्षा के लिए अधिक प्रयास नहीं कर रहे हैं और न ही पानी बचाने के प्रति सजग हैं।

दूसरे देशों से सीखने की जरूरत

एक समय ईरान में पानी की दिक्कतों के कारण विरोध प्रदर्शन हुए थे। दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में भी पानी की भारी कमी हो चुकी है। इसी तरह ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में भी पानी की किल्लत देखी जा चुकी है। भारत के भी कई शहर पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। दिल्ली, बेंगलुरू, हैदराबाद और चेन्नई में भूजल संकट गहराता जा रहा है। चेन्नई तो ऐसा पहला शहर है, जहां ग्राउंड वाटर पूरी तरह खत्म हो चुका है। यदि हमने अब कदम नहीं उठाए, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं।

बढ़ सकता है ग्राउंड वॉटर लेवल

ग्राऊंड वॉटर लेवल लगातार गिर रहा है, जिसका कारण है कि हम जितना पानी उपयोग कर रहे हैं, उतना धरती को लौटा नहीं रहे हैं। (Water Conservation:)अगर ग्राऊंड वॉटर लेवल को बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाए गए, तो पानी का संकट और भी बढ़ सकता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां भू-जल स्तर और अच्छी बारिश दोनों ही बहुत जरूरी है। अच्छी फसल के लिए पानी का पर्याप्त होना बेहद जरूरी है। पानी की कमी से उपज प्रभावित होती है और इसका असर देश की इकोनॉमी पर भी पड़ता है।

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग

हर साल बारिश के बाद आंकड़े आते हैं कि कितनी बारिश हुई, लेकिन इसके बावजूद भूजल का स्तर नहीं बढ़ पाता। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम बारिश के पानी को संजो नहीं पाते हैं। इसके लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सबसे अच्छा विकल्प है। घरों और सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर हम हर बारिश में कई गैलन पानी को फिर से धरती में भेज सकते हैं।

छोटे कदमों से करें शुरुआत

ग्रामीण इलाकों में छोटे तालाब बनाकर बारिश के पानी को जमा किया जा सकता है। इसके अलावा, नहरों को बिना लाइनिंग के बनाना चाहिए, ताकि बहते पानी का कुछ हिस्सा मिट्टी सोख सके और ग्राऊंड वॉटर लेवल में बढ़ोतरी हो (Water Conservation)। पूरी तरह पक्की नहरें बनाने से आसपास की जमीन को इसका लाभ नहीं मिल पाता।

सीवरेज वॉटर रिसाइकलिंग

घरों में पानी की जरूरत का कुछ हिस्सा अन्य स्रोतों से पूरा किया जा सकता है। इसके लिए सीवरेज के पानी को रिसाइकल करना होगा। कुछ शहरों में यह प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन इसे पूरे देश में बढ़ावा देने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोग अधिक भूजल पर निर्भर होते जा रहे हैं, जिससे भूजल का स्तर गिर रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड लगातार इस पर नजर रखता है और रिपोर्ट देता है। हमें उनकी रिपोर्ट के अनुसार योजनाएं बनानी और लागू करनी चाहिए।

जल है तो कल है

पानी बचाने के लिए हमें अपनी आदतों में सुधार लाना होगा। जैसे, नहाते समय नल बंद रखें, और आवश्यकता होने पर ही नल चालू करें। घरों में वाटर सेविंग फ्लश लगाएं और कहीं लीकेज हो तो तुरंत ठीक कराएं। पौधों को पानी देने के लिए वाटरिंग कैन का उपयोग करें। सब्जियां बहते पानी में धोने की बजाय किसी बर्तन में पानी लेकर धोएं। ये छोटे कदम भविष्य में हमें पानी की भयंकर किल्लत से बचा सकते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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