

Natural Farming: वर्तमान समय की मांग है कि हम फिर से प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ें। जहां एक तरफ पर्यावरण के लिए प्राकृतिक खेती फायदेमंद है, वहीं इससे उगाए गए अनाज स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं। भारत में छोटे से लेकर बड़े स्तर तक प्राकृतिक खेती की जा रही है। ऐसी ही एक किसान हैं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला की, जिन्होंने प्राकृतिक खेती से अपनी एक नई पहचान कायम की है। दरअसल कांगड़ा की रहने वाली मनजीत कौर ने प्राकृतिक खेती कर दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया है।
पालमपुर से ली प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग
मनजीत बताती हैं कि उन्होंने खेती-बागवानी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। पारंपरिक खेती से जब वह खेती कर रही थी तो गिरता उत्पादन उनकी बड़ी चिंता थी। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने खेती को छोड़ने का मन बना लिया था। उन्होंने नुकसान के बीच यह सोचना शुरू कर दिया था कि वे अपना पूरा बगीचा ही काट दें। लेकिन पालमपुर से प्राकृतिक खेती के लिए मिले ट्रेनिंग ने उनकी जिंदगी बदल दी। आज वे किचन-गार्डन में प्राकृतिक खेती के सफल प्रयोग से काफी खुश हैं। उन्होंने अपने बगीचे में इस प्रयोग को जगह दी और काफी लाभ कमाया है।
प्राकृतिक खेती ने बढ़ाई मनजीत की आमदनी
पहले अपने बगीचे में मनजीत संतरे की खेती करती थीं। उनका बगीचा 60 हजार रुपये के ठेका में जा रहा है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आमदनी में बढ़ोत्तरी की है। वे पिछले तीन वर्षों में विविध फसलों के साथ 32 कनाल जमीन को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत ला चुकी हैं।
दूसरे किसानों को दे रही हैं ट्रेनिंग
मनजीत प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत अपनी सफलता को दूसरे किसानों के साथ साझा कर रही हैं। वे किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक सिखा रही हैं। वे आस-पास के क्षेत्रों में इस विधि के जरिए 28 से ज्यादा प्रशिक्षण शिविर लगा चुकी हैं।
प्राकृतिक खेती के बारे में
खेती की यह प्रक्रिया पूरी तरह से केमिकल फ्री होती है। इस खेती में प्राकृतिक रुप से तैयार किए गए उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। नेचुरल फार्मिंग की प्रक्रिया से मिट्टी की सेहत में सुधार होता है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2020 तक लगभग 2.78 मिलियन हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। यह देश में 140.1 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध बुवाई क्षेत्र का दो फीसदी है। वहीं सिक्किम एकमात्र ऐसा भारतीय राज्य है जो अब तक पूरी तरह से जैविक खेती करता है। इसके अलावा शीर्ष तीन राज्यों – मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में जैविक खेती के तहत लगभग आधा क्षेत्र आता है। हाल ही में गुजरात सरकार ने डांग के आदिवासी जिले को 100% प्राकृतिक खेती वाला जिला बनाने की भी घोषणा की थी। आने वाले पांच वर्षों में, डांग जिले के लगभग 53,000 हेक्टेयर को प्राकृतिक खेती के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।