Lichi Farming: मॉनसून में बागवानी फसलों की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। ऐसे में आजकल लिची फार्मिंग काफी डिमांड में है। तो अगर आप भी लीची की बागवानी करने में इंटरेस्टेड हैं तो लिची की ये 5 किस्में आपको अच्छी फसल दे सकती है।
लीची की फसल
लीची उन फसलों में गिना जाता है जो अपने आकर्षक रंग, स्वाद और गुणवत्ता की वजह से काफी पसंद किया जाता है। लीची की खेती भारत में कई जगहों पर होती है। लिची उत्पादन के मामले में भारत को दूसरा नंबर मिला है। छिलकेदार फल लीची लाल रंग का होता है। ये स्वाद में भी काफी अच्छा होता है। गर्मी के दिनों में लोग लिची को काफी पसंद करते हैं।
लिची की खेती
लीची के फलों से जैम, जेली और शरबत बनाई जाती है। लिची की बागवानी का सही समय मॉनसून के तुरंत बाद को माना जाता है। अगस्त-सितंबर लिची (Lichi Farming) की खेती के लिए एकदम सही समय हो सकता है।
पांच किस्मों से होगी अच्छी फसल
लीची की खेती करने वाले किसानों को कुछ उन्नत किस्मों की खेती करनी चाहिए। इन उन्नत किस्मों में शाही लीची, कलकतिया लीची, मुजफ्फरपुर लीची, चाइना लीची और स्वर्ण रूपा किस्में शामिल हैं। जानते हैं इनके बारे में डिटेल से।
शाही लीची
ये व्यावसायिक और अगेती किस्म है जो काफी पॉपुलर है। लिची (Lichi Farming) का ये किस्म गोल और गहरे लाल रंग के फल देता है। शाही लीची में गूदे की मात्रा ज्यादा होती है। इसके पौधों पर लगने वाले फल मई माह में तुड़ाई के लिए तैयार रहते हैं। इसके हर पौधे से 100 किलो तक फल मिलता है। भारत के अलावा लिची के इस किस्म की मांग विदेशों में भी है।
कलकतिया लीची
ये देरी से पककर तैयार होते हैं। इसके पौधों पर लगने वाले फल जुलाई में तुड़ाई के लिए तैयार होते हैं। इसका पौधा 20 सालों तक पैदावार देता है।
मुजफ्फरपुर लीची
मुजफ्फरपुर जिला देश में लीची उत्पादन (Lichi Farming) के मामले में सबसे अग्रणी है। मुजफ्फरपुर किस्म लीची उत्पादन के लिए सबसे खास माना जाता है। इस किस्म के फल नुकीले और वजन में 22 से 25 ग्राम तक होते हैं। इस किस्म को लेट लार्ज रेड किस्म कहते हैं।
चाइना लीची
ये लिची की पछेती उन्नत किस्म है। गहरा लाल और आकार में मध्यम ये किस्म 80 से 90 किलोग्राम तक उपज देता है।
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स्वर्ण रूपा
इस किस्म (Lichi Farming) को भारत में कई स्थानों पर उगाते हैं। स्वर्ण रूपा वैरायटी के फल का आकार सामान्य और अत्यधिक गूदेदार होता है। यह फल देखने में गहरे गुलाबी रंग का होता है। पूरी तरह से विकसित पौधा 100 किलो तक का उत्पादन देता है।