आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस उन्नत दौर में भी भारत का दिल कृषि में बसता है। Lockdown की वजह से देश भर में supply chain system के पतन ने कृषि उत्पादों की बिक्री को भी प्रभावित किया है। 2019 में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 69% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। हालांकि लॉकडाउन को अब चरणबद्ध तरीके से उठा लिया गया है, लेकिन कृषि क्षेत्र को अपने पैरों पर वापस लाने के लिए कई महीनों के समर्पित प्रयास की आवश्यकता है।
त्रासदियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, और इससे चाहे हर उद्योग रुक जाये, लेकिन खाद्य उद्योग पर कभी ताला नहीं लग सकता है। और कुछ यही कहानी कोरोना महामारी के दौरान भी देखने को मिली। जहाँ एक तरफ सरकार के आदेश से सारी दुकानें और उद्योग बंद कर दिए गए थे, वहीं दूसरी तरफ agriculture क्षेत्र के कार्यों को जारी रखा गया और कृषि से संबंधित सभी गतिविधियों को लॉकडाउन के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों से छूट दी गई थी।
कृषि क्षेत्र आर्थिक पुनरुत्थान में निभाएगा अहम भूमिका
भारतीय जीडीपी में कृषि का लगभग 16% योगदान है। कृषि, और इससे संबंधित क्षेत्र भारत में आजीविका का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अभी भी मुख्य रूप से अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। इस वर्ष बम्पर रबी की फसल होने की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि यह पर्याप्त वर्षा तथा दूसरी प्राकृतिक घटनाओं पर निर्भर रहेगा। इसके अलावा हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले। मज़दूरों के social distancing के नियमों का पालन करने और उनके भारी मात्रा में पलायन के कारण तकलीफें बढ़ी हैं। लेकिन नयी और उन्नत टेक्नोलॉजी जैसे कृषि मशीनरी और agrochemicals प्रदान करने से आने वाले खरीफ़ मौसम में बड़ी सहायता मिलेगी, जिससे किसानों को श्रमिकों पर बहुत अधिक निर्भरता के बिना आवश्यक कार्य करने में सक्षम बनाया जा सकेगा।
नयी Technology से कृषि क्षेत्र में रोज़गार के बढ़ रहे हैं सुनहरे अवसर
भारतीय कृषि क्षेत्र नए युग की तकनीक जैसे ; Internet of Things (IOT), Artificial Intelligence (AI), Machine Learning (ML) में उन्नति के एक सुनहरे दौर से गुज़र रहा है। खेती के पारंपरिक रूपों से लेकर स्मार्ट एग्रीकल्चर तक, इस उद्योग ने एक बड़ी छलांग लगाई है और इसे आधुनिक युग के सबसे आकर्षक career में से एक के रूप में देखा जा रहा है।
नयी टेक्नोलॉजिकल प्रगति जैसे Agronomy और Crop Data Management से स्मार्ट फार्मिंग को तेज़ी से विकसित किया जा रहा है क्योंकि आधुनिक खेती में data एक महत्वपूर्ण ज़रूरत बन गया है। इससे किसान पर्यावरण का सटीक अनुमान लगा कर अपनी फसल को ज़्यादा से ज़्यादा उपजाऊ बना सकता है।
Agronomy, कृषि उद्योग के क्षेत्र में सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। Agronomy कृषि की वह है शाखा है जो प्रभावी क्षेत्र प्रबंधन के माध्यम से उच्चतम खाद्य उत्पादन की पैदावार पर ध्यान केंद्रित करती है। इसे उन उम्मीदवारों के लिए एक बेहतरीन अवसर के रूप में देखा जा रहा है जो इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। Agronomy का क्षेत्र पौधे और पर्यावरण की बेहतर समझ प्रदान करता है जहां खेती की पुरानी प्रथाओं को संशोधित किया जाता है, और उच्च उत्पादकता के लिए नई प्रथाओं को विकसित किया जाता है।
कृषि क्षेत्र का आगामी भविष्य होगा तकनीक के नाम
विश्व खाद्य मांग के 2050 तक दोगुनी होने का अनुमान है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पाँचवीं डीन समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुमान है कि भारत वर्ष 2030 तक अपनी कुल खाद्य मांग का केवल 59% ही पूरा कर पाएगा जबकि जनसंख्या 2050 तक लगभग दोगुनी हो जाएगी। इसीलिए, कृषि क्षेत्र को विकसित करने के लिए अच्छे और बेहतर तरीके ढूंढना आवश्यक है।
विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कृषि क्षेत्र का आने वाला भविष्य टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित होगा। इसे देखते हुए, एक पेशे के रूप में स्मार्ट कृषि का क्षेत्र भारत की रोज़गार दर को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।
Agronomy के क्षेत्र में ये है शीर्ष career के विकल्प
1. कृषिविज्ञानी या फसल सलाहकार
कृषिविज्ञानी कृषि की नवीन technologies और प्रथाओं का विकास करते हैं जो न केवल फसलों की गुणवत्ता और उपज में सुधार करते हैं, बल्कि जंगली घास और कीटों को नियंत्रित करते हैं। इसके ज़रिये वे फसलों और पर्यावरण की रक्षा भी करते हैं।
2. Soil conservationist
Soil conservationist एक वैज्ञानिक होता है जो भूमि की स्थिति की निगरानी करता है और स्थिरता को बढ़ाने, मिट्टी के संरक्षण और काउंटर erosion के तरीके विकसित करता है।
3. प्लांट ब्रीडर
प्लांट ब्रीडर बीज विशेषताओं का अध्ययन करते हैं और उन विशेषताओं को कृषि में बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं जो एक पौधे के लिए सबसे अधिक आवश्यक है, जैसे उपज, आकार, गुणवत्ता, परिपक्वता, और ठंढ, सूखा, रोग और कीटों के लिए प्रतिरोध।
4. लैब शोधकर्ता
एक लैब शोधकर्ता प्रयोगशाला में फसल डेटा की जांच करते हुए यह पता लगाता है कि कैसे फसल कि अगली पीढ़ी में सुधार लाया जा सकता है। उन्हें गंभीर रूप से सोचना होता है और फसलों के रोपण, कटाई और खेती से संबंधित समस्याओं को हल करना होता है। वे खरपतवारों, कीटों और कठोर जलवायु से फसलों की रक्षा के लिए तरीके भी विकसित करते हैं।
अंत में…
उच्च शिक्षा के कई संस्थानों द्वारा कृषि सम्बन्धी पाठ्यक्रम प्रदान किए जा रहे हैं। भारत एक IOT क्रांति देखने की कगार पर है और नई तकनीकों को कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में उन्नत किया जा रहा है। तकनीकी प्रगति में तेज़ी के साथ, स्मार्ट कृषि के क्षेत्र में अवसर आने वाले वर्षों में कई गुना बढ़ेंगे।