

Highlights:
• खेती की ऐसी तकनीक जिसमें मिटटी की जरूरत नहीं
• मिटटी वाले पौधे के तुलना में जल्दी बढ़ते हैं, हाइड्रोपोनिक तकनीक के पौधे
हाइड्रोपोनिक को हम एक्वाकल्चर, न्यूट्रीकल्चर और टैंक फार्मिंग भी कहते हैं। हाइड्रोपोनिक एक ऐसी विधि है जिसमें बिना मिट्टी के फसल उगाया जाता है।
कैसे होती है हाइड्रोपोनिक खेती ?
हाइड्रोपोनिक खेती में मिट्टी की जरुरत नहीं होती। इसके जरिए बिना मिट्टी के बिना इस्तेमाल आधुनिक तरिके से खेती की जा सकती है। ऐसी खेती पानी या पानी के साथ बालू और कंकड़ में की जाती है।
हाल के दिनों में मिट्टी की गुणवत्ता बिगड़ रही है जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। इसलिए भारत ने खेती की इस नई तकनीक को एडॉप्ट किया है।
इस तकनीक से खेती करने के लिए लगभग 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इस
प्रकार की खेती करने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं होती है। इसके जरिये हम गोभी, पालक, तुलसी, शिमला मिर्च आदि कई अन्य प्रकार की सब्जियां और फल उगा सकते हैं।
हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ
1. वृक्षारोपण बिना मिट्टी के भी हो सकता है। इसिलिए अगर सीमित मिट्टी है या प्रदूषित मिट्टी तो भी यह खेती की जा सकती है।
2. जगह का सही उपयोग किया जाता है। हाइड्रोपोनिक में रूट्स को ऑक्सीजन युक्त पोषक घोल से भरे टैंक में डुबाया जाता है और जरूरी खनिज के सीधे संपर्क लाया जाता है।
3.पानी की बचत होती है। अन्य तकनीकों की तुलना में, इस तकनीक को खेती के लिए 10% कम पानी की आवश्यकता होती है।
4. इस हाइड्रोपोनिक तकनीक में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों पर पूरा नियंत्रण होता है।
5. हाइड्रोपोनिक तकनीक में बेहतर विकास दर होता है क्योंकि पौधों को बढ़ावा देने वाले पर्यवरणीय कारकों को नियंत्रित किया जा सकता सकता है. जैसे तापमान, प्रकाश, नमी, और पोषण. हाइड्रोपोनिक तकनीक मुझे पौधे मिटटी वाले पौधे के तुलना में जल्दी बढ़ते हैं।

