Bull Electricity: आज किसान काफी एडवांस और तकनीकी रूप से समृद्ध हो गए हैं। ट्रेक्टर्स और हार्वेस्टर्स के उपयोग से किसान समय और धन दोनों बचा रहे हैं। लेकिन इस बात पर ध्यान कम ही लोगों का जाता है कि फिर बैल कहां जाएंगे। इनके उपयोगी नहीं होने से इन्हें निराश्रित सड़कों पर छोड़ दिया जाता है, लेकिन उत्तप्रदेश के एक गांव में इन गौवंशों को निराश्रित नहीं छोड़ा जाता है बल्कि इनकी मदद से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इस तकनीक को देशभर में मॉडल के तौर अपनाया जा सकता है। ताकि दूसरे राज्यों में भी गौवंश बेसहारा और निराश्रित होकर सड़कों पर न घूमें।
नंदी रथ अनूठी पहल
लखनऊ से कुछ दूरी पर स्थिति है गोसाईगंज के तहत आने वाला सिद्धुपुरवा गांव, जहां नंदी रथ मॉडल पर काम किया जा रहा है। यहां एक गौशाला में ट्रेडमील पर बैलों को चालकर बिजली उत्पादन का काम लिया जा रहा है। इस कांसेप्ट को नंदी रथ कहा गया है।
कैसे काम करता है नंदी रथ?
नंदी रथ पर बैलों को चढ़ाया जाता है। साथ में चारे का भी इंतजाम किया जाता है। ये बैल चारा खाते है और ट्रेडमील पर चलते रहते हैं। ट्रेडमील को गियर बॉक्स से जोड़ा गया है, जो 1500 आरपीएम पावर को कन्वर्ट करता है।
गांव वालों ने किया है बिजली उत्पादन
एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि गौशाला में 1500 आरपीएम पर ही बिजली निर्माण किया गया है। अभी तक पूरी दुनिया में 500 से 700 आरपीएम ही लिया गया है, लेकिन इस गैशाला में लगे गियरबॉक्स ने अधिक बिजली मात्रा में बिजली लेने का रिकॉर्ड बनाया है। इस मॉडल को बाकायदा पेटेंट भी करवाया गया है।
इस मॉडल से उत्पादित बिजली से किसान ना सिर्फ सिंचाई और कृषि कार्य कर रहे हैं बल्कि घर पर तमाम बिजली उपकरण भी चला रहे हैं। सौर ऊर्जा की तरह ही यह कांसेप्ट भी ग्रीन एनर्जी का शानदार उदाहरण बन सकता है।