Grafted Brinjal Farming: आधुनिक खेती से बदलती ग्रामीण अर्थव्यवस्था परंपरागत खेती में बढ़ते जोखिम और घटते मुनाफे के बीच छत्तीसगढ़ के किसान अब नवाचार की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। राज्य शासन की किसान हितैषी नीतियां अब धरातल पर शानदार परिणाम दिखा रही हैं। इसी की एक मिसाल पेश की है बलौदाबाज़ार-भाटापारा जिले के भाटापारा ब्लॉक के गाँव सेमरिया (बी) के प्रगतिशील किसान श्री योगेश अग्रवाल ने। योगेश ने तकनीक और सरकारी सहायता के मेल से ग्राफ्टेड बैगन की खेती को अपनी सफलता का आधार बनाया है।
क्या है योगेश अग्रवाल की कहानी?
योगेश अग्रवाल पहले पारंपरिक तरीके से सब्जी की खेती करते थे, जहाँ कीटों का प्रकोप और मौसम की अनिश्चितता अक्सर मुनाफे को कम कर देती थी। इसी बीच उन्हें उद्यानिकी विभाग के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राफ्टेड बैगन एवं टमाटर प्रदर्शन योजना के बारे में पता चला।
योगेश बताते हैं कि ग्राफ्टेड बैगन सामान्य बैगन की तुलना में कहीं अधिक मजबूत और सहनशील होते हैं। ग्राफ्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक उच्च गुणवत्ता वाले पौधे (साइन) को एक जंगली और रोग-प्रतिरोधी जड़ (रूटस्टॉक) के साथ जोड़ा जाता है। इससे पौधा न केवल रोगों से बचता है, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बेहतर उत्पादन देता है।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
योगेश अग्रवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ग्राफ्टेड बैगन की खेती ने उनकी खेती के नजरिए को पूरी तरह बदल दिया है। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं,
- रोगों का कम प्रकोप, सामान्य खेती की तुलना में ग्राफ्टेड पौधों में मिट्टी से होने वाले रोगों (जैसे विल्ट) का खतरा न के बराबर होता है।
- तीनों सीजन में उत्पादन, इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें साल के तीनों मौसमों में फल प्राप्त होते हैं, जिससे किसान को बाजार में निरंतरता बनी रहती है।
- संसाधनों की बचत, ग्राफ्टेड पौधों की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं, जिससे कम पानी में भी काम चल जाता है। साथ ही, कीट प्रबंधन और मजदूरी की लागत में भी भारी कमी आई है।
- बेहतर गुणवत्ता, फलों का आकार, चमक और वजन सामान्य बैगन से बेहतर होता है, जिससे बाजार में ऊंचे दाम मिलते हैं।
किसानों को मिल रहा है संबल
बलौदाबाज़ार-भाटापारा जिले में पहली बार लागू की गई ग्राफ्टेड बैगन एवं टमाटर प्रदर्शन योजना का उद्देश्य जिले के किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक से जोड़ना है। उद्यान विभाग द्वारा इस योजना के तहत प्रत्येक प्रदर्शन के लिए किसानों को 30,000 रुपये का अनुदान दिया जा रहा है।
इस वित्तीय सहायता से किसानों के लिए आधुनिक तकनीक को अपनाना आसान हो गया है। जिले को कुल 188 प्रदर्शनों का लक्ष्य मिला था, जिसके विरुद्ध 188 प्रगतिशील किसानों का चयन कर उन्हें इस योजना का सीधा लाभ दिया जा रहा है। योगेश अग्रवाल जैसे किसान इस योजना के सफल क्रियान्वयन के जीवंत उदाहरण हैं।
उन्नत छत्तीसगढ़ के उन्नत किसान
योगेश अग्रवाल की सफलता ने आसपास के गांवों के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। ग्राफ्टेड तकनीक न केवल आर्थिक लाभ सुनिश्चित करती है, बल्कि यह टिकाऊ खेती (Sustainable Farming) की ओर भी एक बड़ा कदम है। राज्य सरकार की अनुदान आधारित योजनाओं और तकनीकी मार्गदर्शन ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘सब्जी क्रांति’ की नींव रख दी है।
योगेश अग्रवाल का कहना है कि यदि किसान वैज्ञानिक पद्धति और सरकारी योजनाओं का सही लाभ उठाएं, तो खेती कभी घाटे का सौदा नहीं होगी। आज वे न केवल अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि आधुनिक कृषि के एक रोल मॉडल के रूप में उभरे हैं।
ये भी देखें

