पारंपरिक फसलों के अलावा अब किसान व्यवसायिक रूप से भी खेती कर रहे हैं। इससे किसान जहां खेती की तरफ प्रोत्साहित हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हें उपज का बेहतर मुनाफा भी मिल रहा है। ऐसी कई फसलें हैं जिनसे किसान अब मुनाफे की खेती कर रहे हैं जैसे कि लाख की खेती। लाख एक व्यवसायिक फसल है जिससे किसान बेहतर लाभ कमा रहे हैं। दरअसल, लाख का उत्पादन कीटों से किया जाता है। इसे कुदरती राल भी कहते हैं। लाख में मादा कीट अपने शरीर से एक लिक्विड निकालते हैं यही लिक्विड हवा के संपर्क में आकर कठोर हो जाते हैं। आजकल लाख की बाजार में डिमांड को देखते हुए लाख की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।
लाख की खेती
एक बार में लाख की फसल दो बार होती है। इसमे एक कतकी अगहनी और दूसरी बैसाखी जेठवी के नाम से जानी जाती है। कार्तिक, बैशाख, अगहन और जेठ मास में कच्ची लाख को इकट्ठा करते हैं। इस काम को जून और जुलाई के महीने में किया जाता है। जबकि अक्टूबर और नवंबर में लाख के बीजो को बैसाखी जेठानी फसल के लिए तैयार करते हैं। वहीं इसके पौधों की रोपई की बात करें तो लाख के पौधों की रोपाई के लिए 5.5 पीएच मान वाली मिट्टी की आवश्यक्ता होती है। साथ ही पौधों की रोपाई करते वक्त एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 8 से 10 सेंटीमीटर के बीच रखनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ में होती है लाख की खेती
छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को काफी बढावा मिला है। यहां ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लाख की खेती जीवनयापन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। वहीं अब इसकी खेती के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को सही ट्रेनिंग और सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध करवाने का भी फैसला लिया है। ये काफी दिलचस्प है कि लाख की क्रय दर 550 रुपये प्रति किलो तक है, जबकि रंगीनी बीहन लाख यानी पलाश के पेड़ से निकाली गई लाख की क्रय दर 275 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है। वहीं बेर के पेड़ से मिले लाख के लिए किसानों को देय विक्रय दर 640 रुपये प्रति किलोग्राम तक रखी गई है।
साथ ही रंगीनी बीहन लाख यानी पलाश के पेड़ों से प्राप्त लाख के लिए विक्रय दर 375 रुपये प्रति किलोग्राम तक निर्धारित है। लाख भले ही पारंपरिक खेती के रूप में स्थापित है लेकिन अब इसे बड़े पैमान पर कर किसानों को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है।