

Indian Soil:
भारत के किसान कई तरह की फसल उगाते हैं। खास बात ये है कि भारत में जिस तरह अलग अलग फसल होती है, वैसे ही देश में अलग-अलग मिट्टी भी मौजूद है। ये फसलों को सही पोषण देकर उन्हें उगने में सहायक होते हैं। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि मिट्टियों में पाई जाने वाली विविधता कैसे भारतीय कृषि को समृद्ध बनाती है। भारत में पाई जाने वाली मिट्टियों में जलोढ़ मिट्टी(Alluvial Soil), लाल मिट्टी(Red And Yellow Soil), काली मिट्टी(Black Or Regur Soil), पहाड़ी मिट्टी(Mountain Soil), रेगिस्तानी मिट्टी(Desert Soil), लेटराइट मिट्टी(Laterite Soil) प्रमुख हैं।
जलोढ़ मिट्टी(Alluvial Soil):
इसका निर्माण नदी के लाए गए कड़ों से होता है। ये मिट्टी भारत की सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी मानी जाती है। इसका फैलाव मुख्य रूप से हिमालय की तीन प्रमुख नदी तंत्रों गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी बेसिनों में है। इसके अंतर्गत उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, असम के मैदानी क्षेत्र तथा पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र शामिल हैं।
लाल मिट्टी(Red And Yellow Soil):
यह मिट्टी ग्रेनाइट से बनी होती है। इस मिट्टी का लाल रंग रवेदार आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में लौह धातु की वजह से होता है। इसका प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में बहुत बड़े भाग पर यह मिट्टी पाई जाती है। ये मिट्टी तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, दक्षिण पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, छोटा नागपुर का पठार, उत्तर-पूर्वी राज्यों के पठार में मिल जाएगी।
काली मिट्टी(Black Or Regur Soil):
इस मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी के लावा से होता है। जिसकी वजह से इसका रंग काला होता है। इसे स्थानीय भाषा में रेगर या रेगुर मिट्टी के नाम से भी जानते हैं। इस मिट्टी के निर्माण में जनक शैल और जलवायु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पहाड़ी मिट्टी(Mountain Soil):
पहाड़ी मिट्टी हिमालय की घाटियों की ढलानों पर 2700 मी• से 3000 मी• की ऊंचाई के बीच मिलती है। इन मिट्टी के निर्माण में पर्वतीय पर्यावरण के अनुसार बदलाव आता रहता है। नदी घाटियों में यह मिट्टी दोमट और सिल्टदार होती है वही ऊपरी ढलानों पर इसका निर्माण मोटे कणों के द्वारा होता है। नदी घाटी के निचले क्षेत्रों विशेष रूप से नदी सोपानों और जलोढ़ पखों आदि में यह मिट्टियां उपजाऊ पाई जाती है। पर्वतीय मिट्टी में विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फसलों को इसमें उगाया जाता है। इस मिट्टी में मक्का, चावल, फल, और चारे की फसल प्रमुखता से उगाई जाती है।
रेगिस्तानी मिट्टी(Desert Soil):
मरूस्थलों में दिन के समय अधिक टेंपरेचर की वजह से चट्टानें फैलती हैं और रात में अधिक ठंड के कारण चटानें सिकुड़ जाती हैं। चट्टानों के इस फैलने और सिकुड़ने की क्रिया के कारण राजस्थान में मरुस्थलीय मिट्टी का निर्माण होता है। इस मिट्टी का विस्तार राजस्थान और पंजाब, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिमी भागों में है।
लेटराइट मिट्टी(Laterite Soil):
लैटराइट मिट्टी हाई टेंपरेचर और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्र में डेवलप होती है। यह भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन (Leaching) का परिणाम होता है। यह मिट्टी मुख्यतः अधिक वर्षा वाले राज्य कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम और मेघालय के पहाड़ी क्षेत्रों में एवं मध्यप्रदेश और उड़ीसा के शुष्क क्षेत्रों में होती है।