Chhattisgarh agriculture success: परंपरा से आगे बढ़ते किसान!

अब गांव की खेती सिर्फ परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रही। आज के किसान न सिर्फ सोच बदल रहे हैं बल्कि अपनी आमदनी भी बढ़ा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के घोटिया गांव के किसान नारद पटेल इसका बेहतरीन उदाहरण हैं, जिन्होंने मूंगफली की खेती कर 4 गुना से ज्यादा मुनाफा कमाया है।

मूंगफली बनी गेमचेंजर

नारद पटेल ने 1 हेक्टेयर ज़मीन में मूंगफली बोई। जहां खर्च हुआ सिर्फ 14 हजार रुपये, वहीं उत्पादन हुआ 12 क्विंटल, जिससे उन्हें 72 हजार रुपये की कुल आय हुई। मतलब, 57 हजार 953 रुपये की सीधी कमाई, वो भी सिर्फ एक सीजन में।

Low input, high output वाली इस खेती से नारद पटेल ने साबित कर दिया कि अब खेती घाटे का सौदा नहीं रही, बस तरीका बदलना होगा।

सबकी जरूरत कम

मूंगफली की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे बहुत ज्यादा पानी, खाद या कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती। इससे खर्च कम होता है और मुनाफा ज्यादा। यही वजह है कि अब कई किसान नकदी फसलों की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं।

12 साल का अनुभव

नारद पटेल बीते 12 सालों से सब्जी, मक्का और मूंग जैसी फसलों की खेती करते आ रहे हैं। उन्हें खेती के फसल विविधीकरण का अच्छा अनुभव है। इस बार मूंगफली की सफल फसल के पीछे उनकी मेहनत के साथ-साथ कृषि विभाग की TRFA तिलहन योजना का भी योगदान रहा। विभाग ने उन्हें बीज सपोर्ट और फसल प्रबंधन में तकनीकी गाइडेंस दिया।

उद्यानिकी और मूंगफली

नारद पटेल के पास कुल 2 हेक्टेयर जमीन है। एक हिस्से में वो उद्यानिकी फसलें उगाते हैं और दूसरे हिस्से में मूंगफली। इस तरह वो सालभर आमदनी का एक मजबूत प्लान तैयार करते हैं। उनका ये बैलेंस फार्मिंग मॉडल अब आसपास के किसानों को भी इंस्पायर कर रहा है।

गांव-गांव तक पहुंच रही सफलता

नारद पटेल की मूंगफली वाली ये सफलता अब बस्तर अंचल के दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन चुकी है। कई किसान अब उनसे जानकारी ले रहे हैं और फसल विविधता और नगदी फसलों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।

बदल रही है किसानों की किस्मत

ये कहानी बताती है कि अगर किसान परंपरागत खेती से आगे बढ़े और सरकार की स्कीम्स व तकनीकी सलाह का सही उपयोग करें, तो खेती एक लाभदायक बिज़नेस मॉडल बन सकती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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