छोटे स्तर पर मछली पालन का बिजनेस
बायोफ्लॉक एक बैक्टीरिया (Biofloc Bacteria) है, जो मछलियों के वेस्ट को प्रोटीन में बदल देता है। इस इस प्रोटीन के इस्तेमाल भी मछलियां ही करती हैं, जिससे संसाधनों की काफी हद तक बचत होती है। किसान चाहे तो बायोफ्लॉक मछली पालन के लिये अपनी सहूलियत के हिसाब से छोटे या बड़े टैंक बनवा कर उसमें ये तकनीक अपना सकते हैं।
बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में..
बायोफ्लॉक तकनीक में, बायोफ्लॉक नाम के एक बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में सबसे पहले मछलियों को सीमेंट या मोटे पॉलिथीन से बने टैंक में डालते हैं। फिर मछलियों को समान्यतः जो खाना दिया जाता है वही फीड करवाया जाता है। मछलियां जितना खाना खाती हैं, उसका 75 प्रतिशत मल के रूप में शरीर से बाहर निकालती हैं। फिर बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इस वेस्ट को प्रोटीन में बदलने का काम करता है, जिसे मछलियां खा जाती हैं। जिससे उनका विकास बहुत तेजी से हो जाता है।
बायोफ्लॉक तकनीक से लाभ
• काम लागत, सीमित जगह और ज्यादा प्रोडक्शन।
• चार महीने में सिर्फ एक ही बार पानी भरना होता है।
• गंदगी जमा होने पर सिर्फ 10% पानी निकालकर इसे साफ कर सकते हैं।
• अनुउपयोगी जगह एवं कम पानी का इस्तेमाल
• मजदूरों की लागत कम होती है।