बॉयोडीजल ब्लेंडिंग पॉलिसी से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही किसान करेंगे एक्स्ट्रा इनकम, जानें कैसे?

पारंपरिक खेती में किसान सामान्यत: खरीफ और रबी फसलों की कटाई के बाद दूसरी फसल की तैयारी करते हैं। जिसके लिए किसान धान और गेंहूं से निकलने वाले वेस्ट जिसे पराली भी कहते हैं, के निपटान के लिए कई तरीके अपनाते हैं जैसे, पशुओं के लिए चारा संरक्षण, खाद और बचे हुए पराली को जला दिया जाता है। लेकिन हाल के दिनों में पराली के प्रदूषण ने काफी नुकसान पहुंचाया है। इसका असर आप दिल्ली के मौसम से देख सकते हैं।


भले ही पिछले कुछ सालों में पराली प्रदूषण को लेकर किसानों में जागरूकता आई है। केंद्र और राज्य सरकारें भी इसके लिए कई अहम कदम उठा रही है। इसी तरह की कुछ खास पहल उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए की है, जिसके तहत अब किसानों को पराली के बदले आर्थिक लाभ दिलाया जाएगा।


पराली बनीं आय का जरिया

साल 2022 में सरकार ने जैव ऊर्जा नीति से इसकी भूमिका तैयार की थी। राज्य के कैबिनेट की बैठक में इसकी प्रक्रिया के बारे में दिशा निर्देश दिए गए हैं। जिसके तहत किसानों को कई लाभ मिलेंगे। सरकार के इस कदम से जहां एक तरफ पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का स्थायी हल निकलेगा वहीं दूसरी तरफ पराली किसानों की आय का जरिया भी बनेगी।

बॉयोडीजल ब्लेंडिंग पॉलिसी से निकलेगा पराली प्रदूषण का हल

इस नीति में बायोफ्यूल को बढ़ावा दिया जाएगा। यह नीति कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) यूनिट्स को कई तरह के प्रोत्साहन देगी। ऐसा ही एक प्लांट करीब 160 करोड़ रुपये की लागत से इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में लगाया जा रहा है। ऐसे प्लांट्स फसलों जैसे गेहूं-धान की पराली के साथ, धान की भूसी, गन्ने की पत्तियों और गोबर के इस्तेमाल से बायो फ्यूल का प्रोडक्शन करेंगे। इस तरह किसानों को एग्री वेस्ट के भी पैसे मिलेंगे। यही नहीं सीएनजी एवं सीबीजी के उत्पादन के बाद जो कंपोस्ट खाद उपलब्ध होगी, वह किसानों को सस्ते दामों पर दी जाएगी।

बॉयोडीजल ब्लेंडिंग पॉलिसी का लाभ

•    पराली को बायोडीजल में बदलने वाले प्लांट्स में स्थानीय स्तर पर कलेक्शन, लोडिंग, अनलोडिंग और ट्रांसपोर्टेशन के कामों के लिए वर्कफोर्स की जरूरत होगी। इससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

•    हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम एवम प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाई स्पीड डीजल के साथ बायोडीजल के मिश्रण संबधी निर्देश दिए हैं। इससे तैयार बायोडीजल को बड़ा बाजार मिलेगा।


•    पराली से होने वाले प्रदूषण को  काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

•    किसान आर्थिक रूप से सशक्त होंगे और कृषि के लिए प्रोत्साहित होंगे।


कृषि भारत का अभिन्न अंग है। जहां एक तरफ कृषि प्रौद्योगिकियों ने किसानों का काम आसान किया है वहीं दूसरी तरफ कुछ सालों में पर्यावरण प्रदूषण को काफी अनदेखा किया गया था। लेकिन राज्य और केंद्र सरकारों की तरफ से लॉच किए जा रहे ऐसी योजनाओं से काफी हद तक प्रदूषण की समस्या से लड़ा जा सकेगा।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *